कितने
सपने बांध ले चली आंचल में
एक नया
संसार ले चली आंचल में ।
बाबुल
की सब सीख और माँ की ममता
भाई बहन
का प्यार ले चली आंचल में ।
साझे कमरे
का प्यार और कुछ लडाई भी
उन यादों
को सम्हार ले चली आंचल में ।
सहेलियों
की छेड छाड ठिठोली भी
कुछ उनकी
मनुहार ले चली आंचल में ।
अपने प्रिय
लेखक और कवियों की यादे
एक पुस्तक
संसार ले चली आंचल में ।
अब विनती
है, प्रिय, तुम मेरा देना साथ
इतना तो
अधिकार हूं लाई आंचल में ।
मै इस
घर को अपने प्यार से भर दूंगी
भर लूंगी
प्यार दुलार मै अपने आंचल में ।
जब होगी
कभी अपनी एक नन्ही बेटी
दूंगी
उसे संसार मैं अपने आंचल में ।
चित्र गूगल से साभार ।
चित्र गूगल से साभार ।
18 टिप्पणियां:
Behad sundar...asar ye hua ki meree aankhon se jharna bahne laga....theeks dekh bhee nahee pa rahee hun...
बहुत सुंदर गजल ,,,
मै इस घर को अपने प्यार से भर दूंगी भर लूंगी प्यार दुलार मै अपने आंचल में ।
जब होगी कभी अपनी एक नन्ही बेटी दूंगी उसे संसार मैं मेरे आंचल में ।
recent post...: अपने साये में जीने दो.
बहुत ही सुन्दर ,,
बहुत ही प्यारा लिखा है...
प्यार और खुशियों से आपका आँचल सदा
भरा रहे ..शुभकामनाएँ...
;-)
बहुत बढ़िया दीदी -शुभकामनायें
मैके की अक्षुण रहे, सदा सहेली याद ।
खेलकूद झगड़े मया, खट्टे मीठे स्वाद । ।
आपके सपने सब के सब सच हों..
प्यारा-सा संसार तुम्हारे आँचल में,
सब सपने साकार तुम्हारे आँचल में !
बहुत खूबसूरत एहसास ,सुखद स्वप्न ,मै इस घर को अपने प्यार से भर दूंगी भर लूंगी प्यार दुलार मै अपने आंचल में ।
जब होगी कभी अपनी एक नन्ही बेटी दूंगी उसे संसार मैं मेरे आंचल में ।।।।।वाह
मेरी टिपण्णी गायब है...
अब विनती है, प्रिय, तुम मेरा देना साथ
इतना तो अधिकार हूं लाई आंचल में ।
हृदयस्पर्शी, बहुत ही अच्छी रचना।
नमन आपको।
प्रेम-स्नेह सरिता की शक्ति लिए श्वास-श्वास
जोड़-जुड़ जीवन-जिजीविषा के आंचल में!
कितने सपने बांध ले चली आंचल में
एक नया संसार ले चली आंचल में
बाबुल की सब सीख और माँ की ममता
भाई बहन का प्यार ले चली आंचल में
बहुत सुंदर विदाई गीत !
आदरणीया आशा जोगळेकर जी
सादर प्रणाम !
बहुत भाव भरी रचना के लिए आभार !
…आपकी लेखनी से सुंदर रचनाओं का सृजन ऐसे ही होता रहे, यही कामना है …
शुभकामनाओं सहित…
साझे कमरे का प्यार और कुछ लडाई भी
उन यादों को सम्हार ले चली आंचल में ।
सुन्दर रचना के लिए बधाई ...
जब होगी कभी अपनी एक नन्ही बेटी
दूंगी उसे संसार मैं अपने आंचल में ।
....बहुत खूब! बहुत संवेदनशील और भावपूर्ण रचना...
मर्म को छू गई कविता..ये पल तो पत्थर दिल को भी पिघला देते हैं!
bahut hi marmik rachana sunder.
वाह..
बहुत ही प्यारी रचना..
सादर
अनु
सुंदर भावप्रबल रचना ....!!शुभकामनायें ...!!
मधुर ... कितना कुछ समेटे प्रेम की पाती ...
दिल को छूती है ...
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