मंगलवार, 20 नवंबर 2012

कितने सपने


कितने सपने बांध ले चली आंचल में
एक नया संसार ले चली आंचल में ।

बाबुल की सब सीख और माँ की ममता
भाई बहन का प्यार ले चली आंचल में ।

साझे कमरे का प्यार और कुछ लडाई भी
उन यादों को सम्हार ले चली आंचल में ।

सहेलियों की छेड छाड ठिठोली भी
कुछ उनकी मनुहार ले चली आंचल में ।

अपने प्रिय लेखक और कवियों की यादे
एक पुस्तक संसार ले चली आंचल में ।

अब विनती है, प्रिय, तुम मेरा देना साथ
इतना तो अधिकार हूं लाई आंचल में ।

मै इस घर को अपने प्यार से भर दूंगी
भर लूंगी प्यार दुलार मै अपने आंचल में ।

जब होगी कभी अपनी एक नन्ही बेटी
दूंगी उसे संसार मैं अपने आंचल में ।








चित्र गूगल से साभार ।

18 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Behad sundar...asar ye hua ki meree aankhon se jharna bahne laga....theeks dekh bhee nahee pa rahee hun...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर गजल ,,,

मै इस घर को अपने प्यार से भर दूंगी भर लूंगी प्यार दुलार मै अपने आंचल में ।
जब होगी कभी अपनी एक नन्ही बेटी दूंगी उसे संसार मैं मेरे आंचल में ।

recent post...: अपने साये में जीने दो.

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर ,,
बहुत ही प्यारा लिखा है...
प्यार और खुशियों से आपका आँचल सदा
भरा रहे ..शुभकामनाएँ...
;-)

रविकर ने कहा…

बहुत बढ़िया दीदी -शुभकामनायें





मैके की अक्षुण रहे, सदा सहेली याद ।

खेलकूद झगड़े मया, खट्टे मीठे स्वाद । ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आपके सपने सब के सब सच हों..

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

प्यारा-सा संसार तुम्हारे आँचल में,
सब सपने साकार तुम्हारे आँचल में !

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत खूबसूरत एहसास ,सुखद स्वप्न ,मै इस घर को अपने प्यार से भर दूंगी भर लूंगी प्यार दुलार मै अपने आंचल में ।
जब होगी कभी अपनी एक नन्ही बेटी दूंगी उसे संसार मैं मेरे आंचल में ।।।।।वाह

Suman ने कहा…

मेरी टिपण्णी गायब है...

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

अब विनती है, प्रिय, तुम मेरा देना साथ
इतना तो अधिकार हूं लाई आंचल में ।

हृदयस्पर्शी, बहुत ही अच्छी रचना।
नमन आपको।

कुमार राधारमण ने कहा…

प्रेम-स्नेह सरिता की शक्ति लिए श्वास-श्वास
जोड़-जुड़ जीवन-जिजीविषा के आंचल में!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…



कितने सपने बांध ले चली आंचल में
एक नया संसार ले चली आंचल में
बाबुल की सब सीख और माँ की ममता
भाई बहन का प्यार ले चली आंचल में

बहुत सुंदर विदाई गीत !

आदरणीया आशा जोगळेकर जी
सादर प्रणाम !
बहुत भाव भरी रचना के लिए आभार !
…आपकी लेखनी से सुंदर रचनाओं का सृजन ऐसे ही होता रहे, यही कामना है …
शुभकामनाओं सहित…

Suman ने कहा…

साझे कमरे का प्यार और कुछ लडाई भी
उन यादों को सम्हार ले चली आंचल में ।
सुन्दर रचना के लिए बधाई ...

Kailash Sharma ने कहा…

जब होगी कभी अपनी एक नन्ही बेटी
दूंगी उसे संसार मैं अपने आंचल में ।

....बहुत खूब! बहुत संवेदनशील और भावपूर्ण रचना...

Alpana Verma ने कहा…

मर्म को छू गई कविता..ये पल तो पत्थर दिल को भी पिघला देते हैं!

mehhekk ने कहा…

bahut hi marmik rachana sunder.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह..
बहुत ही प्यारी रचना..

सादर
अनु

Anupama Tripathi ने कहा…

सुंदर भावप्रबल रचना ....!!शुभकामनायें ...!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मधुर ... कितना कुछ समेटे प्रेम की पाती ...
दिल को छूती है ...