बुधवार, 6 जुलाई 2011
चलते रहिये चलते रहिये 4 –चीता पार्क
हम वापिस लौटे 21 को और 22 को सुबह हमे जाना था चीता पार्क देखने । विजय ने कहा कि चलना बहुत पडेगा तो मै घर में आराम करता हूँ और शाम को थाइ-मसाज के लिये जाऊंगा । आठ बजे पहुंचना था, तैयार होते होते साढे सात बज गये तो लगा हम समय से न पहुँच पायेंगे, पर एडम ने क्या गाडी चलाई है करीब 150 किलोमीटर प्रति घंटा । 1
तभी तो हम 70 -75 किलो मीटर दूर के चीता पार्क समय से पहुँच गये । वहां गये तो कॉफी तैयार थी कॉफी पीकर थोडा पार्क के बारे में और चीतों के बारे में जानकारी हासिल की । 2
ये तो हम सभी जानते हैं कि चीता सबसे तेज जानवर है । यह भी जाना कि अफ्रीका में भी इनकी संख्या काफी कम हो रही है भारत से तो ये लुप्त ही हैं । यहां उनका प्रजनन और संवर्धन किया जा रहा है । यहां कोई तीन मादाएं है और दो या तीन नर हैं 3-4 बच्चे भी हैं । वे बता रहे थे कि ज्यादा तर ये चीते प्यार समझते हैं और कहना मानते हैं पर कभी कभी गुस्सा हो जाते हैं तब उन्हे अकेले छोडना चाहिये नही तो नोच खरोंच लेते हैं । एक लडकी के हाथ में जो हमारी गाइड भी थी बैन्डेज बंधा देख कर विश्वास हो गया ।
फिर हमने चीतों को उनके पिंजरे मे देखा । एक चीते के धब्बे कुछ अलग तरह के थे कुछ लंबे से । चीतों के बच्चे बहुत प्यारे थे । अब हमें उस जगह ले जाया गया जहां चीते दौडने वाले थे । कुछ कुछ डर तो था मन मे । हमे एक छोटी सी बाड के आड खडा कर दिया । हमें शुरु में ही बाताया था कि एक बेट नुमा चीज, जो मांस के टुकडे जैसी दिखने वाली, प्लास्टिक की होती है, मोटराइज्ड पुली से फर्राटे से दौडाई जाती है (70 कि.मी./ घंटा )और चीता उसके पीछे भागता है और उसे पछाड देता है । हमें बताया गया कि आज तीनो चीतनियां ही दौडेंगी क्यूं कि चीतों का मूड नही है । वैसे चीतनियाँ कम एकाग्र होती हैं चीते अपने लक्ष से ध्यान नही हटाते । हम वहाँ खडे होकर इंतजार कर रहे थे और हमारी गाइड लडकी हमें हर चीतनी के बारे में बताती जा रही थी । उसकी बात खतम करके वह चीतनीयों को लाने चली गई । उनके गले में पट्टा डाल कर उन्हे जीप में बिठा कर लाया जाता है । हमें बताया गया था कि हम ज्यादा हिले डुलें नही बस चुप से खडे रहें । पहले एलन को लाया गया और फिर प्यार से पट्टा खोल दिया गया । वह मीट का टुकडा (झूटा) फर्राटे से दौडा और चीतनी छलांगे लगाते हुए उसके पीछे यह सब मानों दो चार सेकंड में हो गया । इसी तरह थोडे थोडे अंतराल से दो चीतनियां और दौडी । इनके नाम थे ग्रॉस और बिग गर्ल । हर बार वही उत्कंठा आशंका और रोमांच । बहुत मज़ा आया । दौड के बाद चीतनियों को सचमुच का मांस तोहफे में मिला । (विडियो)3
यहां से हम एक हॉल में आकर बैठे जहां चीतों के बारे में एक फिल्म देखी । इस दौरान एक बडा सा चीता तेज तेज बाहर बगीचे में घूम रहा था ।4
मूवी के बाद हमारी गाइड और सूचना अधिकारी लडकी चीते को लेकर आई और एक टेबल पर लिटा दिया फिर बारी बारी सारे ग्रुप्स के लोग गये और चीते के साथ फोटो खिंचवाई और उसकी पीठ पर हाथ फेरा । हमने भी यह सब किया । 5 6 7 8(विडियो)
इसके बाद हमे एक आधी बंद गाडी में बिठा कर सफारी करायी गई । सफारी में सबसे पहले हमने देखे इम्पाला हिरण । इसका नर बहुत खूबसूरत होता है उसके सींगों की वजह से । फिर देखी जंगली बिल्ली । 9 10 11
यह देखने में तो आम बिल्लियों की तरह होती है पर इसके कान अंदर से गुलाबी होते है । खूंखार होती हैं । फिर देखे दक्षिण अफरीका के गिध्द । यहां गिध्दों की आठ प्रजातियाँ पाई जाती है जिनमें से सात लुप्तप्रायः (endangered ) हैं।
यहां पर एक बडे गिध्दों की एक प्रजाति हैं । इन गिध्दों के बारे में हमारी गाइड नें बडी रोचक जानकारियां दीं । ये गिध्द इस पार्क में भी अच्छी तरह प्रजनन कर रहे हैं। ये सबसे बडे गिध्द हैं जिनका वजन दस किलो के लगभग होता है । खुले पंखों का विस्तार 2.8 मीटर होता है । 12
ये काफी मोटी चमडी को भी छील सकते हैं । नर और मादा देनो मिल कर बच्चों का संगोपन करते हैं और इनकी जोडी आजीवन रहती है अगर साथी की मृत्यु हो जाये तो ये शोक में डूब जाते हैं । गिध्दों की एक छोटी प्रजाती भी यहां पाई जाती है जिनकी चोंच मोटी चमडी नही छील सकती इससे भूखों मरने की नौबत आ सकती है, तो ये शुतुरमुर्ग के अंडे को चोंच से पत्थर उठा कर मार मार कर कमजोर करते हैं और बाद में चोंच से छेद कर के सारा अंडा जो काफी बडा होता है खत्म तर देते हैं (मुर्गी के करीब 24 अंडों के बराबर माल इसमें होता है ) । शुतुरमुर्ग के ये अंडे वहां हमारे विक्टोरिया फॉल्स के होटल में भी सजा कर रखे थे आपने भी नोटिस किया होगा। यहां इन पर सुंदर सुंदर पेंटिंग भी की जाती है और बेचे जाते हैं ।
फिर हमने देखा एक भूरा लकडबघ्घा या हाइना । जो पहले तो छुपता रहा पर फिर सामने आ गया । हमारी गाइड इन सब के बारे में बताती जा रही थी । इसके बाद देखे जंगली कुत्ते । बाप रे ! क्या लडते हैं और क्या बखेडे करते हैं । खाना खाते वक्त बाप को खाने ही नही देते यदि वह खाने में मुह डालता है तो उसे काट कर भगा देते हैं । आप देखें बेचारा चुपचाप एक और खडा है । 13
यहां हमने शुतुरमुर्ग भी देखें । इसके बाद हम एक खुले से मैदान में गये और वहां हमारे लिये चीतों को बुलाया गया । बहुत देर मनाने के बाद आये, खाना खाया और क्या पोज दी हैं एकदम मैजेस्टिक, आप भी देखिये । हम बंद गाडी मे थे और ये खुले ।14
चीता पार्क की प्रवेश फीस थी 258$ चार व्यक्तियों के लिये । सफारी पूरी होने के बाद हम यहां के दुकान में गये । बेटों के लिये टी शर्टस् और पोते पोतियों के लिये चीता और जंगली कुत्ता खरीदा ( स्टफ्ड टॉयेज)। 15
( दो स्टफ्ड खिलोने और दो टी शर्ट्स की कीमत थी 450 रैंड यानि करीब 65 डॉलर । फिर एडम हमें फ्ली मार्केट ले गया वहां कुछ छोटी मोटी खरीदारी की । साउथ अफ्रीका काफी महंगा है यूरोप से भी, जो कि अमरीका से महंगा है । अब तक चार बज चुके थे और भूख जोरों की लगी थी तो एक ओपन एयर रेस्तराँ में पिज्झा खाया और अमेरुला वाइन पी जो दूध या आइसक्रीम में डाल कर पीते हैं । यह यहां के अमेरूला नामक फलों से बऩाई जाती है । कहते हैं कि इन फलों को खा कर हाथी, बंदर आदि जानवर मतवाले हो जाते हैं । ये अमेरूला कडवी थी पर अच्छी थी (विडोयो) । घर आये । थक तो गये ही थे । कल हमें जाना था सफारी पर । एडम ही गाडी लेकर ले जाने वाला था । मै कीमतें बता रही हूँ कि यदि आप में से कोई जाये तो अंदाजा रहे ।
(क्रमशः)
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16 टिप्पणियां:
Savere,savere badhiya sair ho gayee!Aapke is lekhan ka bahut intezaar rahta hai! Mai apni sehat ke karan bilkul ghoomti jo nahee!
man khush ho gaya......
khubsurat yatra vratant.........bahut accha laga
Thanks for sharing.
बहुत ही सुन्दर यात्रा और वृत्तान्त भी, घूमने में तो और भी आनन्द आया होगा।
सुन्दर ||
शानदार फ़ोटो है, बहुत अच्छे लगे, इतना दिखा दिया कि कुछ तसल्ली हुई है।
सजीव चित्रण के साथ चीता सफारी दिखाने के लिए शुक्रिया...
आम्हालाही ही सफर घडवल्याबद्दल आभार....
अच्छी किन्तु अनावश्यक विस्तार और वीडिओ लिए है यह पोस्ट ..
कृपया आगे इसका ध्यान रखा करें
रोमांचक अनुभव रहा.
ऐसी अद्भुत सैर !आनंद आ गया.
वोव ... कमाल का लग रहा है ये चीता पार्क तो ... और क्या वीडियो लगाए हैं आपने ...
यात्रा वृत्तान्त पढ़ कर आनन्द आ गया....
वीडियो के साथ वृतांत सजीव हो उठा है लगता है जैसे हम स्वयं वहाँ मौजूद हैं !
आभार आशा जी !
आपके आलेखों द्वारा बढ़िया सैर कर ली सफारी वर्ल्ड की .
सुन्दर. चलिए कहीं तो चीते संरक्षित हैं. उनपर हाथ फेरना कितना रोमांचक रहा होगा.
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