रविवार, 17 अप्रैल 2011

प्यार की कुछ क्षणिकाएँ

मन में मचती है खलबली सी
आ जाती हैं जब वो, अच्छे नसीब सी
जाते जाते हो जाती हैं कुछ और करीब सी

मेरे मन की तरह ही समंदर में उठती लहरें
मेरे मन जैसे ही इसके भाव कुछ छिछले, गहरे
पर ये उन्मुक्त, और मुझ पर कितने पहरे

कुछ दिन कैसे बन जाते हैं खास
मन में जगाते हैं कोमल कोमल अहसास
वो आयें या ना आयें लगे कि बस हैं आस ही पास

प्यार किसे कहेंगे, कैसे समझायेंगे
कोशिश करते हैं, शायद कामयाब हो जायेंगे
जैसे आ जाता है न बुखार, वैसे ही हो ही जाता है प्यार ।

कितनी उदासी छा जाती है ,
जैसे सूरज पे बदली मंडराती है
जब कई कई दिन फोन नही आता, न कोई मेल आती है ।

पॉवर कट के बाद बिजली की तरह, जब तुम आते हो
यूं लगता है कि गरमी में ए सी की ठंडक लहराती है
तबियत बाग बाग मन में हरियाली छा जाती है ।

43 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

antim panktion ne hansa diya ... bahut achchha laga upma paddhkar...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हर क्षणिका बहुत अच्छी और अंतिम तो कमाल ही है :)

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

पॉवर कट के बाद बिजली की तरह, जब तुम आते हो। यूं लगता है कि गरमी में ए सी की ठंडक लहराती है। तबियत बाग बाग मन में हरियाली छा जाती है ।

मुझे बेहद पसंद आया यह बिम्ब... प्यार के इज़हार का.

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

यहां भी पावर कट में पढ़ रहे हैं। इनवर्टर का सहारा है!
यह पढ़ कर बिजली की कटौती में भी मुस्कान आ गयी है मुंह पर! :)

Rahul Singh ने कहा…

पावर कट या यथार्थ कविता में, मजेदार है.

kshama ने कहा…

प्यार किसे कहेंगे, कैसे समझायेंगे
कोशिश करते हैं, शायद कामयाब हो जायेंगे
जैसे आ जाता है न बुखार, वैसे ही हो ही जाता है प्यार ।
Bahut khoob! Waise to harek kshanika behad sundar hai!

mridula pradhan ने कहा…

bahut mazedar lagi......

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत प्यारी सी कविता।

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

कितनी उदासी छा जाती है ,
जैसे सूरज पे बदली मंडराती है
जब कई कई दिन फोन नही आता, न कोई मेल आती है ।

मर्मस्पर्शी कविता के लिए बधाई...

bhagat ने कहा…

मेरे मन की तरह ही समंदर में उठती लहरें
मेरे मन जैसे ही इसके भाव कुछ छिछले, गहरे
पर ये उन्मुक्त, और मुझ पर कितने पहरे

मैं शादी के बाद यही फील करता हूँ

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 19 - 04 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

http://charchamanch.blogspot.com/

Abhishek Ojha ने कहा…

पावर कट के बाद बिजली की तरह ! वाह !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

प्यार किसे कहेंगे, कैसे समझायेंगे
कोशिश करते हैं, शायद कामयाब हो जायेंगे
जैसे आ जाता है न बुखार, वैसे ही हो ही जाता है प्यार ।
bilkul... pyaar sochsamajh ke saath nahi hota

Unknown ने कहा…

नए बिम्ब चुने हैं , यही ताजगी लाती है भाषा में . खूब

Khare A ने कहा…

पॉवर कट के बाद बिजली की तरह, जब तुम आते हो
यूं लगता है कि गरमी में ए सी की ठंडक लहराती है
तबियत बाग बाग मन में हरियाली छा जाती है ।

wah ji wah!, kammal kita aapne to!

संजय भास्‍कर ने कहा…

कुछ दिन कैसे बन जाते हैं खास
मन में जगाते हैं कोमल कोमल अहसास
........मर्मस्पर्शी कविता के लिए बधाई...

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

कोमल एहसास जगा गयी ......

रचना दीक्षित ने कहा…

यथार्थ के धरातल पल सुंदर कविता. इजहारे इश्क मजेदार लगा, बधाई.

शोभना चौरे ने कहा…

पावर कट में प्यार का सुन्दर अहसास बढिया बढ़िया |

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

सभी क्षणिकाएं अच्छी ....मगर आखिरी क्षणिका बेजोड़ , गज़ब की

बाबुषा ने कहा…

waah waah ! mazaa aaya !:-)

monali ने कहा…

Aapne meri post par comment kia uske lie thnx... hausla afzaai k lie bhi aur us se bhi zyada mujhe aapke blog tak pahunchne ka pata dene k lie bhi...lovely blog..keep writing.. :)

monali ने कहा…

Aapne meri post par comment kia uske lie thnx... hausla afzaai k lie bhi aur us se bhi zyada mujhe aapke blog tak pahunchne ka pata dene k lie bhi...lovely blog..keep writing.. :)

Suman ने कहा…

कुछ दिन कैसे बन जाते है खास
मन में जगाते कोमल-कोमल अहसास
वो आये या ना आये लगे की बस है आस ही पास
बहुत सुंदर ....वैसे सभी अच्छी लगी ......

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

जैसे आ जाता है न बुखार, वैसे ही हो ही जाता है प्यार ।

वाह!यह अंदाज़ तो अनोखा है.

वाणी गीत ने कहा…

जैसे आ जाता है बुखार , वैसे ही हो जाता है प्यार ...
क्या बात है ...
तनाव भरे मौसम में ऐसी बेहतरीन रचनाएँ सुकून देती हैं !

रंजू भाटिया ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर पावर कट बहुत सही है :)

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

मेरे मन की तरह ही समंदर में उठती लहरें
मेरे मन जैसे ही इसके भाव कुछ छिछले, गहरे
पर ये उन्मुक्त, और मुझ पर कितने पहरे

हर पंक्ति बहुत अच्छी, ये खास तौर पर पसंद आईं.

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

wah...sundertam..v sateek....

रवि धवन ने कहा…

जैसे आ जाता है न बुखार, वैसे ही हो ही जाता है प्यार ।
अरे वाह। बड़ी मजेदार कविता है।
शुरु से आखिर तक पढ़ते ही जाओ बस।

निर्मला कपिला ने कहा…

मन में मचती है खलबली सी
आ जाती हैं जब वो, अच्छे नसीब सी
जाते जाते हो जाती हैं कुछ और करीब सी
सब से अच्छी क्षणिका यही है लेकिन बाकी भी बहुत खूब कहीं। बधाई।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

पॉवर कट के बाद बिजली की तरह, जब तुम आते हो
यूं लगता है कि गरमी में ए सी की ठंडक लहराती है
तबियत बाग बाग मन में हरियाली छा जाती है ।

अच्छी पावर कट है ...:))

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

bahut hi pyare ehsas ke sath sunder prastuti.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Sach hai .. bas pyar aur bukhaa mein itna hi fark hai ... bukhaar aata hai to chala jaata hai ... par pyaar aata hai to jaata nahi fir ....

मीनाक्षी ने कहा…

सभी क्षणिकाएँ खूबसूरत... प्यारी सी...

daanish ने कहा…

पॉवर कट के बाद बिजली की तरह, जब तुम आते हो। यूं लगता है कि गरमी में ए सी की ठंडक लहराती है। तबियत बाग बाग मन में हरियाली छा जाती है ।

bahut khooooob !!

inverter jab sunegaa ,,
to bahut khush hogaa ...

sb kuchh aanandmay !!

Rahul Singh ने कहा…

शाश्‍वत भाव, युगानुकूल बिंब.

समय चक्र ने कहा…

bhavapoorn rachana abhaar ...

Arvind Mishra ने कहा…

असहज करती भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

कुछ दिन कैसे बन जाते हैं खास
मन में जगाते हैं कोमल कोमल अहसास
वो आयें या ना आयें लगे कि बस हैं आस ही पास

सशक्त भावों को सुन्दरता और सहजता बयां किया आपने....बेहतरीन क्षणिकाएं

vijay kumar sappatti ने कहा…

asha tai ,

ek naya rang , ek naya ahsaas, bahut dino baad aapki kala, se kuch aisa nikla hai ki bas poochiye mat ...

dil se badhayi

मेरी नयी कविता " परायो के घर " पर आप का स्वागत है .
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/04/blog-post_24.html

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

आदरणीय आशा जी ,आपकी शुभ-कामनाओं के लिये ह्रदयसे आभारी हूँ । आप भी इस सुखद अहसास से गुजर रही है इसके लिये आपको बहुत-बहुत बधाई ।
प्यार के अहसास पर आपने काफी खूबसूरत कविता लिखी है । अन्य रचनाएं भी अपना प्रभाव छोडतीं हैं ।

mehhekk ने कहा…

मेरे मन जैसे ही इसके भाव कुछ छिछले, गहरे
पर ये उन्मुक्त, और मुझ पर कितने पहरे

hmm payr ka ye bhi ek andaaz hai ..

पॉवर कट के बाद बिजली की तरह, जब तुम आते हो
ye upama behad hi pasand aayi,ek alag hi payr ka rang liye.mast mast.