रविवार, 4 जुलाई 2010

जीवन चलने का नाम 2- माद्रिद की सैर



दूसरे दिन हमे सुबह उठ कर मेड्रिड घूमने जाना था । हम सब को बीट्रीस ने बोला था कि आप लोग मुझे स्टेशन पर ९ बजे मिलना तो हम जल्दी जल्दी कर के निकले और पैदल चल कर  स्यूदाद लीनिअल स्टेशन पर आ गये और बीट्रीस का वेट करने लगे । बहुत देर तक जब वह नही आई तो हमें फिक्र होने लगी कि उसने हमें इसी स्टेशन पर बुलाया था या वेन्टाज स्टेशन पर फिर सोचा उसे फोन कर लेते हैं हमारे सब के फोन तो वहाँ चल नही रहे थे सिर्फ प्रकाश का फोन चल रहा था तो उन्होने फोन निकाल कर कहा, सुहास बीट्रीस का नंबर बताओ । अब सुहास ताई ने खूब ढूंढा पर नंबर मिले ही नही । डायरी तो वह होटल के रूम में रख आईं थी । अब क्या करें, सोचा, दस मिनिट और इंतजा़र करते हैं पर बीट्रीस का कहीं अता पता नही । फिर प्रकाश बोले मै वापिस होटल जाकर डायरी ले आता हूँ । वह जैसे ही जाने के लिये मुडे ,सामने बीट्रीस । बहुत माफी वाफी मांग रही थी कि मै देर से उठी वगैरा पर हमारी तो खुशी का ठिकाना न था । उसे देखते ही सारी शिकायतें काफूर हो गई थीं । हमारा कनफ्यूजन दूर हो गया था कि हमें किस स्टेशन पर मिलना था  वगैरा वगैरा । हम स्टेशन के अंदर गये और टिकिट खरीद कर चल पडे आज हमें जाना था रेटिरो पार्क जो कि न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क की तरह है ।
रेटिरो का मतलब है रिटायर पर हमारे यहां के पेन्शनर के अर्थ में नही पर रेस्ट या आराम के अर्थ में । इसके लिये हमे  ट्रेन बदलनी थी । ट्रेन बदल कर हमने दूसरी ट्रेन ली और  स्टेशन उतर कर चल पडे रेटिरो पार्क के लिये । यह पार्क स्पेन के राज फिलिप II  के जमाने में बनवाया गया था । तो हम हम इस विशाल पार्क में चलते गये चलते गये । जगह जगह सुंदर  पुतलों से सजे फव्वारे । पार्क के उत्तरी फाटक के पास एक खूबसूरत तालाब है मानव निर्मित । इसी तालाब से सटा किंग अलफान्सो XII  का स्मारक है और घोडे पे सवार पुतला भी । एक Falling Angel का पुतला जो स्वर्ग से गिरता हुआ दिखाया है । कहते हैं इसे जॉन मिल्टन के पैराडाइस लॉस्ट कविता से प्रेरणा लेकर बनाया है । यहीं पर एक स्मारक जो Sept. 2004 के 191 मृतकों के लिये बनाया गया है जो आतंकवादी हमले का शिकार हुए थे । यह हम नही देख पाये । पार्क मे बडे सुंदर आकार प्रकार के पेड पौधे थे । वहाँ से निकले तो भूख लग आई थी तो एक जगह पिझ्जा खाया ।फिर बीट्रीस ने हमे Palacio  Real पर छोडा । उसी के पास एक खूबसूरत चर्च  Cathedral of Al Mudena  भी था । बीट्रीस हमें वहाँ   Palacio  Real  के main gate  पर ढाई बजे मिलने का बोल कर चली गई और हम गये चर्च तथा महल देखने । सब दूर आठ या दस यूरो के टिकिट थे तो हमने सोचा हम पेलेस देखते हैं और सुहास प्रकाश तथा जयश्री कथीड्रल देखने गये ।

   विजय की कहीं चलने की हिम्मत नही थी तो वे पैलेस के बगीचे में एक बेन्च पर बैठ गये । हमें भी लौट कर वहीं आना पडा क्यूं कि पैलेस उस दिन राजसी भोज की वजह से बंद था बाकी तीने कथीड्रल देख कर आये और फिर हम सब बीट्रीस ने बताये हुये स्टेचू के पास उसका इंतजार कर रहे थे । पर सारी इमारतें चाहे वह कथीड्रल हो या पैलेस बहुत ही भव्य और सुंदर हैं । आप भी देखें ।(बीट्रीस ने हमे बताया कि पूरे माद्रीद शहर में सिर्फ एक मस्जिद है । बाकियों की जगह चर्च बन गये ।
 
फिर बीट्रीस ने हमे मेड्रिड विजन बस के स्टॉप पर छोडा और वापिस कैसे जाना है बता कर वह चली गई हमने आज और कल के लिये टिकिट खरीदे क्यू कि दो अलग अलग रूटस् पर ये बसें चलती हैं ।

इस बस में बैठ कर आप सारा मेड्रिड मजे से घूम सकते हैं  हमे ईयर फोन भी दिये जाते हैं और चेनल ३ पर आपको इंग्लिश कमेंट्री भी सुनने को मिलती है । जहां मन हो उतरिये, देखें और दूसरी मेड्रिड विजन बस लेकर आगे चलें । हमने सोल का डाउन टाउन देखा जो मैं उस रात नही देख पाई थी, और फिर उतरे प्राडो नेशनल म्यूजियम ।  पहले इसे ऱॉयल म्यूजियम ऑफ आर्ट एन्ड क्राफ्ट के नाम से जाना जाता था । म्यूजियम के बाहर पेन्टर गोया का भव्य पुतला लगा है । यह म्यूजियम अपने पेन्टिंग्ज और स्कल्पचर्स के लिये विश्व प्रसिध्द है । हमने इस म्यूजियम की सैर की और बहुतसी तस्वीरें लीं यहां सिक्कों का भी बडा अच्छा डिसप्ले है, छटी शताब्दी से लेकर अब तक का । उसके बाद बस में बैठे बैठे ही बहुत सी तस्वीरें लीं । एक जगह कोलंबस का पुतला भी देखा । मेड्रिड बहुत ही सुंदर है नये पुराने का अद्भुत संगम । अपने इतिहास और अपना आज दोनो में  समृध्द है ये शहर, ये देश । स्पेन में शुरू में रोमन शासकों का आधिपत्य रहा(पागान धर्म)) बाद मे ३०० सालों तक मुसलमानों का और फिर रोमनों का पर इस बार इनका धर्म था ईसाई ।  यहां की इमारतों में इन तीनो कल्चर्स का असर दिखाई देता है ।  माद्रीद अरबी शब्द है जिसका अर्थ है मदर ऑफ नीड्स  यह हमें बस के कमेंटेटर ने बताया पर मुझे लगता है यह मदर ऑफ हैपिनेस होना चाहिये मादर-ई-ईद । हमने बहुत खूबसूरत चर्चेज, फव्वारे और पेलेसेज देखे,  एक विक्टरी आर्च  भी है हमारे गेट वे ऑफ इंडिया की तरह ।
 अगले दिन १८ तारीख को हमे बीट्रीस के घर अलकलाँ दि हेनारेस यानि Fort on River Henares भी जाना था और बस से दूसरे रूट की सैर भी करनी थी । ये एक पुराना युनिवर्सिटी टाउन है । “ मुझे कैनालेहास स्टेशन पर मिलना” बीट्रीस ने कहा था । उस हिसाब से हम सब सुबह निकल पडे  । बीट्रीस से दस बजे मिलना था तो साढे नौ बजे ही निकले फिर  चल कर स्यूदाद लिनीअल स्टेशन आ गये । टिकिट खरीदे और आगे जैसे ही टिकिट मशीन मे डाले गेट खुले ही ना दो तीन बार डाले पर मशीन ने हर बार टिकिट वापिस कर दिये । टिकिट खरीदे भी मशीन से ही थे हमारी परेशानी देख कर एक स्पेनिश महिला उसे थोडी अंग्रेजी आती थी, आगे आई और टिकिट देख कर बोली आपके टिकिट तो गलत हैं । आपको नये टिकिट लेने होंगे पर बाद में आप स्टेशन पर उतर कर ये टिकिट वापिस करके दूसरे ले सकते हैं तो वही किया नये टिकिट  खरीदे और इसमे भी उस महिला ने हमारी मदद की । ईश्वर उसका भला करे ।
ट्रेन मै बैठ कर पहुंच गये कैनलेहास स्टेशन । बीट्रीस ने यहां बडा इंतजार करवाया । इधर हम बेसबर हो रहे थे बहुत लोगों से पूछने कि कोशिश की कि किसी को अंग्रेजी आती हो, पर नो लक ।  यहाँ लोग जमकर सिगरेट पीत हैं क्या मर्द क्या औरतें बल्कि औरतें कुछ ज्यादा । हमारी बीट्रीस भी चिमनी की तरह धुआँ निकालती रहती है । एक इन्डियन सी दिखने वाली लडकी से भी हमने पूछा , “ Do you speak English? “, उसने कहा कि उसे सिर्फ स्पेनिश ही आती है पर मातृभाषा बंगला है वह आती है । मै तो खुश हो गई चलो अब अपना कलकत्ते का रहना काम आयेगा । मैने उससे बंगला में पूछा कि अलकला दि हेनारेस जाना है वह बस कहां मिलेगी ? हमने सोचा स्टेंड पर चले जाते हैं, बीट्रीस अपोझिट साइड उतरेगी तो हम  उसे देख लेंगे और उतना समय भी बच जायेगा । उसने अच्छे से बता भी दिया ,पर हम चल पडते इसके पहले ही बीट्रीस आ पहुँची । वो करीब ११ बजे आई । फिर बडी सारी अपॉलॉजी के बाद उसने कहा कि हम सब पहले उसकी माँ से मिलने उसके घर जायेंगे अलकलाँ दि हेनारेस । फिर वहाँ से वह हमे  रॉयल पेलेस और कथीड्रल के पास छोड देगी और वह काम पर चली जायेगी  । हम पैदल चल कर बस स्टॉप जायेंगे जहाँ से मेड्रिड विजन नाम की बस लेकर मेड्रिड देखेंगे । तो हम बस स्टेंड गये वहां से बस पकडी और उतर कर पैंया पैंया चल कर बीट्रीस की माँ मेरी लू के घर पहुँचे । रास्ते में हमे बीट्रीस ने उसकी यूनिवर्सिटी दिखाई जो कि ३०० साल पुरानी है । यहीं कहीं कोलंबस ने स्पेन के राजा से मुलाकात की थी और उन्होने उनके अमेरिका ( वास्तव में भारत ) खोजने की मुहीम को पैसे दिये थे । बडे बडे स्पेनिश वैज्ञानिक भी यहां पढे थे । मेरी लू के घर के नीचे ही उसका एक छोटासा बुटीक है जिससे उसकी जीविका चलती है । बीट्रीस के पिता से उनका बहुत पहले तलाक हो गया था और तीनो बच्चे उन्होने अपने बल बूते पर बडे किये । एक बहन बीट्रीस से बडी है और भाई छोटा । बहन की शादी हो चुकी है और वह लंदन में रहती है ।
मेरी लू का घर किसी म्यूजियम की तरह सजा हुआ था । दीवारों पर बहुत सारे पेंटिंग्ज, और आईने । एक घोडे के शेप की कुर्सी, तरह तरह के फूलदान, फ्रूट बोल और भी कितनी सारी चीजें । तस्वीरों में एक भारतीय मुगल शैली की पेंटिंग भी थी और एक झूले पर राधा कृष्ण की भी ।  वे कभी भी हिंदुस्तान नही गईं पर पेंटिंग कहीं से खरीदी है  ।
 बच्चों के बचपन के और अभी के फोटो भी हैं और है एक एन्जेल्स का कलेक्शन । सारा घर करीने से सजा हुआ । “मेरा घर हमेशा ही ऐसे ही रहता है, आप के लिये कुछ खास नही सजाया”, मेरी लू ने कहा था । अपने एन्जेल्स का कलेक्शन उन्होने बडे प्यार से दिखाया हर एन्जेल एक अलग जगह से लाया हुआ, हरेक के  पीछे एक कहानी ।  माँ के शौक को देख कर बेटा और बेटियाँ भी मां के लिये जगह जगह से एन्जेल्स लाते हैं । वह खुद तो लाती ही हैं । अमेरिका, यूरोप, के एन्जेल्स तो हैं ही नेपाल, फिलिपीन्स पेरू और ब्राजील के भी हैं । एक एन्जेल तो उन्हे कचरे के डिब्बे मे मिला जो वह बडे प्यार से उठा लाईं कि, हाय हाय एन्जेल कैसे किसीने फेंक दिया । इनमे एक एन्जेल ऑफ होप और एन्जेल ऑफ लाइट भी हैं । एक बेबी एन्जेल है जो चांदी का बना हुआ है बडा मॉडर्न, आदिदास के जूते और शॉर्टस में ।  वह हमेशा उनके सोने के कमरे में रहता है । मेरी लू और बीट्रीस ने हमे चाय पिलाई । वह रेकी में बडा विश्वास रखती हैं हमे उन्होने हाथ रगड कर शक्ती भी दी । मुझे कहा कि तुम से ज्यादा शक्ती सुहास मे है ।  उन्होने भारत का अभिवादन नमस्ते भी सीखा और कहा कि आसान है स्पेनिश में No Mas Te  का अर्थ है  No more tea . यही याद रख लेंगे । फिर  उन्होने बीट्रीस से कहा कि भारत का कल्चर बडा पुराना है मेरी जो ज्वेलरी मिल नही रही उसे पाने के लिये इनके यहां जरूर कोई मंत्र होगा तुम पूछो । संयोग से हमे कार्तवीर्य का मंत्र मालूम था
 कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहू सहस्त्रवान
तस्य स्मरण मात्रेण गतम् नष्टं च् लभ्यते ।
जिसका जाप करने पर वाकई हमे भी कई इधर उधर रखी पर भूली हुई वस्तुएं मिल गई थीं ।  हमने कहा कि हम बीट्रीस को वह मंत्र रोमन मे लिख कर दे देंगे वह आपको स्पेनिश मे समझा देगी । मेरी लू  से फिर प्यार भरी विदा ली और आदिओस  यानि बाय बाय कह कर हम चले ।

रास्ते मे बीट्रीस ने हमे वह चर्च दिखाया जहां उसका बाप्तिस्मा हुआ था । चर्च के ऊपर सफेद स्टॉर्क के घरौंदे भी दिखाये जो यहां की खासीयत है वहां सफेद स्टॉर्क पक्षी भी दिखे जो अंडों की देखभाल कर रहे थे । हमने उससे बुल फाइट के बारे में भी पूछा पर उसने कहा कि मैने तो आज तक नही देखी । हमे बस में बिठा कर उसने हमे समझा दिया कि हमे कहां उतरना है और किस स्टॉप पर हमे मेड्रिड विजन की बस मिलेगी । पर हम बायें की बजाय दाये मुड गये और हमे करीब एक मील चलना पडा तब जाकर स्टॉप मिला और बस भी । इतना करने के बाद बहुत थक गये थे तो ऊपर गये और सिर्फ बैठे रहे और मेड्रिड की सैर कर ली आप भी देखें आधुनिक मेड्रिड । देखे टोरे यानि टॉवर । खूबसूरत इमारतें पर एक दूसरे से सटी हुई ।  मेड्रिड की इस सैर के बाद हम जब उतरें तब हमे पता चला कि ये बस स्टॉप कितना पास था और हम ऐसे ही खूब सारा चले । खैर उतर कर फिर स्टेशन गये और उलटी तरफ जाने वाली ट्रेन ली इसी रास्ते पर बीच में हमारा स्यूदाद लिनीअल आना था । स्टेशन से उतर कर हमारे होटल की तरफ जाने वाली बस ली जिसका पता अब हम लगा चुके थे आज हमारा माद्रिद का आखरी दिन था कल तो हमे बार्सीलोना के लिया प्लेन पकडना था । शाम को हमने एक रेस्टॉरेन्ट से जो काफी सस्ता था पिज्झा और पास्ता मंगवाया और डिनर किया । (क्रमशः)

11 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

ितने सुन्दर विडिओज़ और इतनी विस्त्रित जानकारी। आपने तो आज ये सुन्दर तोहफा दे कर हम पर उपकार किया है आपकी वर्णन शैली अद्भुत है। धन्यवाद और शुभकामनायें

kshama ने कहा…

Aapke jaisi koyi Itihaas bhugol ki teacher hame mil gayi hoti to kitna maza aaya hota! Sach,yah vishay aise ruchipoorn tareeqese sikhane chahiye,ki,aakhon ke aage nazare ghoom jayen!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

एक बार फिर दिल से आपका धन्यवाद .........घर बैठे बैठे ही घुमवा दिया आपने तो !

daanish ने कहा…

sach meiN...
jeevan chalne ka naam !!

Aruna Kapoor ने कहा…

ऐसे लग रहा है आशाजी कि हम भी आप के साथ ही पर्यटन पर है!... विडिओज लाजवाब है!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपने बहुत ही रोचक अंदाज़ में अपनी यात्रा का व्रतांत लिखा है ... सभी चित्र वहाँ की सुंदरता का बखान कर रहे हैं ... मॅड्रिड के खूबसूतर पार्क ... चर्च, कैथड़रिल ... सभी लाजवाब हैं ...

Alpana Verma ने कहा…

आप के साथ साथ हम भी इस सुन्दर शहर की सैर कर रहे हैं.
-खोयी चीज़ों के लिए मन्त्र!आप ने यहाँ दे भी दिया..यह तो नयी बात जानी.
वैसे उनका मन्त्र मांगना मुझे याद दिलाता है की भारत की छवि -जादू टोने वाला देश की' अभी तक लोगों में बनी हुई है.
-बुल फाईट के बारे में मैं भी जानना चाह रही थी,लेकिन आप के लिखे में जवाब मिल गया.
-आप ने सफेद स्टॉर्क पक्षी भी देखे जो अंडों की देखभाल कर रहे थे'बड़ा सुन्दर दृश्य होगा.
--अब तक का यात्रा विवरण बहुत रोचक लगा.

shama ने कहा…

"Arthi to uthi" is sansmaran pe aapka commment padha.Gar aapki e-mail ID mujhe mil sake to mai us bachhee ke bare me bata sakun. Vinay ji tatha Saxsena ji ko e-mail dwara hi bataya tha.
Aurat ka aakhir 'apna' kahlane wala ghar kaunsa hota hai,is sawal pe maine wah sansmaran likha tha.Isliye,Tasneem ki atmhatya ke baad kya hua yah nahi likha.
Right now I can just say that the girl suffered tremendous traumas.
I'm glad that you showed interest.More thru e-mail..!

अरुणेश मिश्र ने कहा…

रोचक यात्रावृत्तान्त । जानकारी भी पर्याप्त मिली ।
प्रशंसनीय ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही रोचक अंदाज़ में अपनी यात्रा का व्रतांत लिखा है........

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..