माँ, तुमने
सही मेरी कितनी ही शैतानियाँ
और अनदेखी सी कर दीं कितनी ही नादानियाँ
डाले परदे मेरी कितनी ही बदमाशियों पर
और फिर बांटीं हमेशा दु:खभरी तनहाइयां
पऱ अकेले में सदा ही दी समझ पहचान की
क्या सही है क्या गलत है, मान की अपमान की
तभी तो बन सका हूँ मैं जो कुछ भी आज हूँ
धन्यवाद कह नही सकता, मै तेरा ही साज़ हूँ ।
आज का विचार
जब आप कुछ पाना चाहते हैं तो सारा ध्यान उसीपर केंद्रित करें, आप अवश्य सफल होंगे ।
स्वास्थ्य सुझाव
चुकंदर को उबाल कर सलाद में खाइये ये हीमोग्लोबीन की मात्रा बढाता है ।
15 टिप्पणियां:
माँ के चरणों में नमन करता हूँ और मदर्स डे की शुभकामना .
'तभी तो बन सका हूँ मैं जो कुछ भी आज हूँ
धन्यवाद कह नही सकता मै तेरा ही साज हूँ । '
ati sundar!
bahut hi bhaavbhari kavita hai Asha ji.
aur chukundar khane ka labh bhi bataya.dhnywaad.
सुन्दर अभिव्यक्ति!!
मातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.
बहुत सुन्दर लगी यह माँ पर लिखी पंक्तियाँ ..आज का विचार बहुत सही अच्छा लगा
मन में लागी लगन
जलती रहे यादों की अगन
रक्तप्रवाह अगर डांवाडोल हो तो .......
'धन्यवाद कह नही सकता मै तेरा ही साज हूँ ।' ये पंक्ति सबसे सुन्दर लगी.
बहुत सुन्दर लिखा है ...
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर रचना है शुभकामनायें
सच में आदमी जो सफलत्ता पाता है उसमें मां का योगदान सर्वोपरि होता है।
'तभी तो बन सका हूँ मैं जो कुछ भी आज हूँ
धन्यवाद कह नही सकता मै तेरा ही साज हूँ ।'
Sach kaha aapne.. aur bahut khoob andaaz mein kaha... Dhero Shubhkaamnaaye..
Hridaysparshi
माँ को समर्पित इस रचना ने मन मोह लिया
माँ, तुमने
सही मेरी कितनी ही शैतानियाँ
और अनदेखी सी कर दीं कितनी नादानियाँ
डाले परदे मेरी कितनी ही बदमाशियों पर
और फिर बांटीं हमेशा दु:खभरी तनहाइयां
मातृ दिवस पर सुन्दर अभिव्यक्ति...!!
Bahut sundar abhivyakti.Ek anurodh hai.Kripya comments par blogger ke alawa kam se kam openid ke madhyam se comment ka option bhi de dein.
"Beautiful Poem about " MAA " kitne hi parde daale tumne meri badmaashiyon per. Sach kaha, hum aksar use hi bhool jaate hain jisne humein jeevan ka pehla kadam, pehli aawaaz, pehla shabd diya aur na jaane kitni aawazon ki bheed ko apna lete par shanti evum sukoon maa ki god mein hi milta hai"
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