धीरे धीरे करीब दिल के आने लगे हैं।
बातों बातों में बातें निकली कुछ ऐसे,
लोग उसके के फसाने बनाने लगे हैं।
मुझे उनके इतने करीब जानकर अब,
दोस्त भी मेरे नजदीक आने लगे हैं।
किसी बात की पक्की खबर न हो तो
बात का ही बतंगड बनाने लगे हैं।
हमें आपसे इक लगावट तो है पर,
लोग इसको मुहब्बत
बताने लगे हैं।
माहौल ये अब मर्जी का ही है,
उदासी के बादल जो जाने लगे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें