एक पत्थर उछाल तो दिया है
कस कर
कि करे सूराख उनके ऊँचे
महलो में
और झरें उसमें से हमारे
प्राप्य,
पर अगर नही कुछ हुआ तो समझ
लेना
कि गिध्दों नें दबोच लिया
है उसे,
ताकि वे फोड सकें, हमारे
जतन से
सेये हुए अंडे, अपनी हवस के
लिये।
बहुत चाहते हैं कि तुम्हें
मिले सफलता
पहली ही बार में, व्यवस्थापन
के नियम की तरह
अगर कर सको, हमेशा सही, हर
बार, पहली ही बार
पर मत होना निराश अगर ऐसा न
हो,
क्यूं कि असफलता ही सफलता
की पहली सीढी है।
वे करेंगे हर कोशिश तुम्हें
बदनाम करने की
पर जारी रहे ये संघर्ष, यह
मन में रखते हुए
कि बदनाम वही किया जाता है
जिसका कोई नाम हो।
स्वार्थों की होड लेकर,
सब से आगे दौड कर
लड रहे हैं वे सारे खास
सिर्फ आम आदमी के लिये।
12 टिप्पणियां:
पर मत होना निराश अगर ऐसा न हो,
क्यूं कि असफलता ही सफलता की पहली सीढी है।
वेहतरीन ...वाह !!!
हर क्षणिका दमदार....!!
आम के लिये जुटे हुये ख़ास।
स्वार्थों की होड लेकर,
सब से आगे दौड कर
लड रहे हैं वे सारे खास
सिर्फ आम आदमी के लिये।
...बिल्कुल सच...सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर...
खुबसूरत ख्यालो से रची रचना...
आपकी यह पंक्तियाँ उन 'ख़ास' के लिए बहुत ख़ास है जो हैं आम के लिए. उन्हें जल्दी सफलता हो औरपूर्ण उद्धार हो पहली बार.
खूबसूरत क्षणिकायें...गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें और बधाईयां...जय हिन्द...
bahot achchi......
स्वार्थों की होड लेकर,
सब से आगे दौड कर
लड रहे हैं वे सारे खास
सिर्फ आम आदमी के लिये।
बिल्कुल सच बहुत सुन्दर...
बहुत सुंदर ...बस हौसला बना रहे .....
काहे का आम आदमी ... वो तो कब का खो गया इस दौड़ में पीछे हो गया ...
कड़वी सच्चाई
मगर लड़ना जरुरी है
क्यूं कि असफलता ही सफलता की पहली सीढी है।
bilkul sahi ....!!
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