सोमवार, 23 सितंबर 2013

चंद शेर -२

इस दिल से निकलेंगी दुआएं, चाहे तुम रूठे रहो
हम ना छोडेंगे मनाना, चाहे तुम झूटे कहो।

हम को तो बस आप ही हैं इस बडे संसार में
बिन सहारे के रहे तो, दिल के टूटे ही कहो।

जिनके भरोसे रह रही है जनता भारत देश में
वही छीनें उसका सब कुछ, तो लोग लुटे ही कहो।

लडकियां हों आधुनिक या देसी हों परिधान में,
ऱास्ते सुनसान हों तो, गुंडे छूटे ही  कहो।

कैसे तो निर्लज हैं हम लोग और नेता सभी
लुटती इज्जत नारियों की, कहें खूंटे से रहो।

बच्चे तक तो नही बचते हैं इनकी हवस से अब
कुचला बचपन, मसला यौवन, (इन्हे)भाग के फूटे कहो।

लडकियों अब काम नही चलना हो कर के छुई मुई
अपनी हिम्मत अपनी ताकत बढाने में जुटे रहो।

अब हमे ही सोचना होगा सुधार के लिये
स्कूल हो या घर हो अपना नीति के बूटे लहो।




15 टिप्‍पणियां:

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

सच बयाँ करते सुन्दर और शिक्षाप्रद शेर.

संजय भास्‍कर ने कहा…



बहुत बेहतरीन अहतियात भरी रचना... पढ़कर अच्छा लगा...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत लाजवाब.

रामराम.

kshama ने कहा…

Bade shandaar ashar hain ye!Wah!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन...
आज के परिवेश में सटीक...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

समसामयिक एवं सटीक पंक्तियाँ.....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर सटीक रचना !

नई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )

mridula pradhan ने कहा…

badi achchi lagi......

Suman ने कहा…

सभी शेर लाजवाब है ताई !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह, सच ही कहा है।

virendra sharma ने कहा…

लडकियों अब काम नही चलना हो कर के छुई मुई
अपनी हिम्मत अपनी ताकत बढाने में जुटे रहो।

सार्थक संकल्पों विभेदनों की रचना।

(झूठ ,निर्लज्ज )

mridula pradhan ने कहा…

sunder rachna.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लडकियों अब काम नही चलना हो कर के छुई मुई
अपनी हिम्मत अपनी ताकत बढाने में जुटे रहो।..

सच कहा है आपने ... अपनी रक्षा खुद ही करनी होगी आज समाज में ... आत्मबल ओर शक्ति जुटानी होगी ...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और सारगर्भित रचना..

Abhishek Ojha ने कहा…

सही बात.