इस दिल से निकलेंगी दुआएं,
चाहे तुम रूठे रहो
हम ना छोडेंगे मनाना, चाहे तुम झूटे कहो।
हम को तो बस आप ही हैं इस बडे संसार में
बिन सहारे के रहे तो, दिल के टूटे ही कहो।
जिनके भरोसे रह रही है जनता भारत देश में
वही छीनें उसका सब कुछ, तो
लोग लुटे ही कहो।
लडकियां हों आधुनिक या देसी हों परिधान में,
ऱास्ते सुनसान हों तो, गुंडे छूटे ही कहो।
कैसे तो निर्लज हैं हम लोग और नेता सभी
लुटती इज्जत नारियों की, कहें खूंटे से रहो।
बच्चे तक तो नही बचते हैं इनकी हवस से अब
कुचला बचपन, मसला यौवन, (इन्हे)भाग के फूटे कहो।
लडकियों अब काम नही चलना हो कर के छुई मुई
अपनी हिम्मत अपनी ताकत बढाने में जुटे रहो।
अब हमे ही सोचना होगा सुधार के लिये
स्कूल हो या घर हो अपना नीति के बूटे लहो।
15 टिप्पणियां:
सच बयाँ करते सुन्दर और शिक्षाप्रद शेर.
बहुत बेहतरीन अहतियात भरी रचना... पढ़कर अच्छा लगा...
बहुत लाजवाब.
रामराम.
Bade shandaar ashar hain ye!Wah!
बहुत ही बेहतरीन...
आज के परिवेश में सटीक...
समसामयिक एवं सटीक पंक्तियाँ.....
बहुत सुंदर सटीक रचना !
नई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
badi achchi lagi......
सभी शेर लाजवाब है ताई !
वाह, सच ही कहा है।
लडकियों अब काम नही चलना हो कर के छुई मुई
अपनी हिम्मत अपनी ताकत बढाने में जुटे रहो।
सार्थक संकल्पों विभेदनों की रचना।
(झूठ ,निर्लज्ज )
sunder rachna.....
लडकियों अब काम नही चलना हो कर के छुई मुई
अपनी हिम्मत अपनी ताकत बढाने में जुटे रहो।..
सच कहा है आपने ... अपनी रक्षा खुद ही करनी होगी आज समाज में ... आत्मबल ओर शक्ति जुटानी होगी ...
बहुत सुन्दर और सारगर्भित रचना..
सही बात.
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