बदले बदले मिजाज़ मौसम के
बदला बदला है नूर बारिश का
सतरा प्रतिशत है हो गई ज्यादा
सबके अनुमानों को बता के धता ।
कभी होती थी पिया सी प्यारी
अब सिरिअल-किलर सी लगती है
लग रहा है की गीली, गीली, सिली
कोई एक आग सी सुलगती है ।
कहते हैं कि बुखार धरती का
कुछ ज्यादा ही हो गया है अब
हिम शिलाएं पिघल रही देखो
किंतु मौसम उबल रहा है अब ।
गर्मी से आदमी भडकते हैं
सोचते हैं न कुछ समझते हैं
बिन किसी बात के भडकते हैं
बसों में रास्तों में लडते हैं ।
काश इस गुस्से की दिशा बदले
गुस्सा इकजुट इस तरह उबले
करे इस दानवी व्यवस्था पर
जोर का इक प्रहार और बदले ।
फिर उगेगा इक नया सूरज
फिर मिलेगी सच में आजादी
फिर स्वतंत्रता का दिन मनायेगे
सही माने में जश्ने आजादी ।
12 टिप्पणियां:
इतनी ऊष्मा भरी है धरती में, क्रोध की कि कई सावन लग जायेंगे उसे बुझाने में।
नमस्ते आशा जी, आज कल आप एन्डर्सन मे हैं क्या?
सही लिखा आशा जी आपने
फिर उगेगा इक नया सूरज
फिर मिलेगी सच में आजादी
फिर स्वतंत्रता का दिन मनायेगे
सही माने में जश्ने आजादी ।
काश वो समय जल्द ही आये, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
गर्मी से आदमी भडकते हैं
सोचते हैं न कुछ समझते हैं
बिन किसी बात के भडकते हैं
बसों में रास्तों में लडते हैं ।
गर्मी बाहर कम भीतर
ज्यादा बढ़ गई इसलिए
लड़ाई झगडे बढ़ गए है
आप कहे अनुसार सकारात्मक
दिशा मिले तो क्रांति संभव है !
आप सबका आभार ।
मिश्राजी, मैं आजकल अपने छोटे बेटे के पास डरहम न्यू-हैम्पशायर में हूँ । पर २२ अगस्त तक हम एन्डरसन पहुंच जायेंगे ।
लाजबाब सुंदर अभिव्यक्ति,आशाजी ,,,
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बहुत ही सुंदर...... सटीक, सारवान पंक्तियाँ
मौसम के बदलते मिजाज़ को ठीक करने की दिशा में प्रयास करने ही होंगे ..
बहुत सटीक लिखा है.
कई रंग समाये यह रचना बहुत अच्छी लगी. इस साल जैसी बारिश तो पिछले ७-८ सालों में कभी हुई ही नहीं यहाँ पर. लेक हार्टवेल तो महीने भर पहले से ही उफान पर है.
फिर उगेगा इक नया सूरज
फिर मिलेगी सच में आजादी
फिर स्वतंत्रता का दिन मनायेगे
सही माने में जश्ने आजादी ।
Amen!
Bahut sundar rachana!
फिर स्वतंत्रता का दिन मनायेगे
सही माने में जश्ने आजादी ।
...... वो समय जल्द ही आये,
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