गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

क्षणिकाएं

क्षणिकाएं

उगता सा कुछ दिल के अंदर
ये मेरी चाह है
या तुम्हारी चाहत ।

आंखों में नींद है ना चैन
किरचें चुभती हैं
आंसुओं की ।

धूप के छोटे छोटे टुकडे
बिस्तर पर फैले,
यादों के साये ।

चाय के साथ कमरे में आती तुम,
चेहरे पे धूप छांव
आती जाती ।


कुछ ना कहो, छलक जायेंगी
यूं ही तैरती सी लगती हैं
ये पनीली आंखें ।

.................................................................


देह झुलसाती कडकती धूप
याद आता है
पापा का गुस्सा ।


बरसता मेह, भीगती धरती
पानी के परनाले
मां की आंखें ।

पुराने कंबल के भीतर लगी
पुरानी चादर, गर्माहट
माँ के आंचल सी ।


गर्म मौसम में ठंडी हवा
खस में भीगी
दीदी का प्यार


आईस कैंडी सा सुकून देता
ठंडक पहुंचाता
भैया का दुलार


संध्या रंग गालों पर बिखराती
मन को गुदगुदाती
पिया मनुहार

17 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत प्रभावशाली सुंदर क्षणिकाए !!!आशा जी..
बहुत दिनों से आप मेरी पोस्ट पर नही आई आइये स्वागत है,,,
नववर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
recent post : भूल जाते है लोग,

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही प्यारी रचनायें

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन प्रभावी क्षणिकाएं,आभार.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हर क्षणिका जैसे खुद जी हुई ..... बेहतरीन ।

Suman ने कहा…

संध्या रंग गालों पर बिखराती
मन को गुदगुदाती
पिया मनुहार
khas sundar lagi vaise sabhi sundar hai !

Vinay ने कहा…

नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

नये वर्ष के शुभावसर पर अच्छी क्षणिकाओं से नवाजा.

Arvind Mishra ने कहा…

भावघनेरी क्षणिकाएं!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत उम्दा ..... भावपूर्ण क्षणिकाएं

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर क्षणिकाए

नववर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाए आशा जी

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

प्यारी प्यारी...बहुत ही प्यारी क्षणिकाएं...

सादर
अनु

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…


बहुत सुंदर क्षणिकाए !!
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रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुन्दर हर क्षणिका ....बेहतरीन

मन के - मनके ने कहा…

पता नहीं था,प्यार आइसकेंडी भी हो सकता है.
प्यार ही प्यार नजर आया.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दिल में सीधी उतरती हैं सभी रचनाएं ...
दुलार देती ...

P.N. Subramanian ने कहा…

आपके ब्लॉग को कई दिनों से तलाश रहा था.आपकी टिप्पणी में उपलब्ध लिंक ग़लत जगह ले जाती है. गूगल सर्च से बात बनी.
क्षणिकाएं बहुत सुंदर हैं. दूसरी तो पूरे जीवन की कहानी सी लगी. ना जाने क्यों पापा लोग अकसर अपने गुस्से के लिए ही जाने जाते हैं.

P.N. Subramanian ने कहा…

आपके ब्लॉग को कई दिनों से तलाश रहा था.आपकी टिप्पणी में उपलब्ध लिंक ग़लत जगह ले जाती है. गूगल सर्च से बात बनी.
क्षणिकाएं बहुत सुंदर हैं. दूसरी तो पूरे जीवन की कहानी सी लगी. ना जाने क्यों पापा लोग अकसर अपने गुस्से के लिए ही जाने जाते हैं.