सुबह नही धो कर तैयार हुए और कॉम्प्लिमेन्ट्री कॉन्टिनेन्टल ब्रेकफास्ट
कर के वापसी के प्रवास पर चल दिये । वही रास्ता, पर, एक अलग नजरिये से देखा उल्टा
जो जा रहे थे । एक जगह बर्गरकिंग में रुक कर कॉफी और ओनियन रिंग्ज का समाचार पूछा
। रास्ते में फोटो शूट और
गप-शप चल ही रही थी । जब ४ घंटे बाद आयडाहो पहुँचे तो फिर से अरीमो गांव
में रुके । कार मे गैस भरवाई और फिर से
क्रॉस कट फ्राइज खाईं । फिर रुके यूटा के एन्टिलोप नामक गांव में जहां हमें सॉल्ट
लेक देखना था । यह स़ॉल्टलेक सिटि से कोई ३० मील दूर है ।
सॉल्टलेक को अमेरिका का डेड-सी भी कहते हैं । यहां का पानी सामान्य समंदर
के पानी से पांच गुना ज्यादा खारा है । पानी का घनत्व इतना ज्यादा है कि कुछ डूबता
ही नही । यहां पहले एक स्टोर में गये और कुछ बायसन खरीदे (खिलौने) । फिर लेक पर
गये पानी में पांव भिगोये पानी चखा और मुंह बनाया । पानी पे शायद चल भी लेते
क्राइस्ट की तरह पर कोशिश ही नही की ।
इस लेक का परिसर कोई ७५ X २८ मील है ।
इस लेक का परिसर कोई ७५ X २८ मील है ।
हमने
देखा कि पंछी मजे से पानी पर बैठे थे, कुछ तो उन्हे मिल ही रहा था खाने को । वैसे
यहां ब्राइन श्रिंप और ब्राइन अल्गी के अलावा कुछ होता नही है । वहां
एक महिला बोटिंग करने आई थी, उन्होने बताया कि यहां पास में एक द्वीप है, एक रशियन
आदमी ने वहां कुछ बायसन और कुछ हाइना (लकडबग्घे) बसाये थे पर उससे ये काम सम्हला
नही । वह तो छोड छाड के भाग गया पर अब वहां बाइसन कम हो रहे हैं और लकडबग्घे
ज्यादा ।vdo1(विडियो)
vdo2
वे बता रहीं थी कि द्वीप से वे कभी भी यहां मेनलैंड पर आ सकते हैं और
यहां के लोगों और जानवरों के लिये खतरा बन सकते हैं ।
सॉल्टलेक सिटि से वापिस क्लिफ-क्लब आते हुए गलत रास्ते पर चले गये पर एक
अमेरिकन महिला ने हमारे साथ साथ अपनी गाडी चला कर हमें सही रास्ते पहुंचाया ।
ईश्वर उसका भला करे । वापस आये तो थके पडे थे, खाना खाया और निद्रादेवी के आधीन ।
आज १७ तारीख है और हमें जाना है मोरमोन टैबरनेकल देखने । अमेरिका का ये
सबसे बडा मोरमोन टेंपल है । अब रिपब्लिकन प्रेसिडेन्शियल कैंन्डिडेट श्री. मिट रॉमनी के मंदिर जाना तो बनता था न ।
वहां पहुंचे तो मंदिर (दिखता तो ये चर्च जैसा ही है पर कहते टेंपल या टेबरनेकल हैं
) का परिसर बहुत सुंदर था । सुंदर बगीचे में खूब फूल खिले हुए थे और एक हलकी सी मनभावनी
महक हवा में फैल रही थी । पर ये क्या, इस चर्च या मंदिर में सिर्फ मोरमोन्स को ही
प्रवेश था । हम तो हम, क्रिस्चियन्स को भी
अंदर जाना वर्जित था । नये नये दीक्षित
मोरमोन्स भी नही जा सकते हैं अंदर । एक साल तक उनको देखा परखा जाता है फिर ही
उन्हें प्रवेश की अनुमति मिलती है । यह कुछ अजीब सा लगा । वहां की दो भद्र महिलाओं
नें हम पर तरस खा कर हमें एक बडा सा एल्बम दिखाया जिसमें अंदर की तस्वीरें थीं
। तस्वीरों से तो लग रहा था अंदर बडा
सुंदर होगा पर ना देख पाने का मलाल तो रह ही गया ।
पता चला कि यहां एक ऑरगन वादन का कार्यक्रम है १२ बजे, तो तय किया कि ये
तो देखेंगे । बहुत सुंदर से ऑडिटोरियम में
था यह कार्यक्रम । इस खूबसूरत ऑडिटोरियम में स्टेज पर छोटे बडे कोई १००
ऑरगन पाइप्स वाला ऑरगन था, यह ज्यादा का भी हो सकता है । थोडी देर के इंतजार के
बाद कार्यक्रम शुरु हुआ । खूबसूरत म्यूझिक
के साथ ऑरगन के पीछे से रंगों का अद्भुत खेल चल रहा था । कभी हरा तो कभी गुलाबी,
कभी नीला कभी बैंगनी,कभी पीला कभी नारंगी, आँख और कान दोनो तृप्त हो गये । vdo3 (विडियो)
vdo4(विडियो) (Courtesy Youtube.com)
य़ह खूबसूरत प्रोग्राम देख कर वापिस पार्किंग-लॉट में आये तो देखा कार की
खिडकी खुली है । धक रह गये सब के सब ! पर गाडी ठीक थी और प्रकाश के १५० डॉलर जो एक लिफाफे में रख कर वे गाडी
के डैश बोर्ड पर ही भूल गये थे वे भी इनटैक्ट थे । जो खिडकी खुली छूटी थी वह
ड्राइवर सीट की थी, तो हम सब तो गालियां खाने से बच गये । सुहास भी एक खिसियानी
हंसी हंस कर गाडी में बैठ गई । फिर हम टैंपल स्केवर ट्रेन स्टॉप पर गये और एक चक्कर ट्रेन में बैठ
कर स़ॉल्टलेक सिटि के एक हिस्से का लगाये टेंम्पल स्क्वेअर से वेस्ट व्हेली तक और वापिस । फिर तो कार से अपने क्लिफ क्लब पर । हमे
परसों कोलंबस जाना था हमारी उडान १९ को
सुबह की थी तो सोचा कि कल यानि १८ को ही लंच के
बाद हम क्लिफ क्लब छोड कर सॉल्टलेक सिटि के एयरपोर्ट वाले होटेल ( Residence inn) में चैक-इन कर
लेंगे । वहां से एयरपोर्ट शटल का पता कर के गाडी भी आज ही वापिस कर देंगे ता कि कल
सुबह कोई झंझट ना रहे । वैसा ही किया, रात को आराम से सोये और दूसरे दिन सुबह शटल
से एयरपोर्ट और फिर प्लैन पकड कर हम वापिस कोलंबस । उल्का के यहां एक दिन और रहे
और २१ को सुबह चल कर मार्टिन्स बर्ग वापिस । प्रकाश और जयश्री एटलांटा में ही उतर कर
अपनी बेटी (माधुरि)के घर चले गये । हम लोग और दो दिन मारटिन्सबर्ग रह और २३ को
एन्डरसन वापिस आये । यह ट्रिप हमारे और ट्रिप्स के मुकाबले छोटी थी (थोडी गडबडी भी
हुई, दिल्ली में चोरी ....)पर मज़ा बहुत आया ।
आप को कैसी लगी हमारी ये यात्रा ?
(समाप्त)
16 टिप्पणियां:
Achha lagta hai aapka blog padhna....mai khud safar nahee kartee isliye tasveeren dekh man alhadit hota hai.
चित्रमय यात्रा वर्णन पढकर अच्छा लगा,,,,,,
MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
साल्ट लेक गया तो हूँ पर कभी खूम नहीं पाया .. चलो आपकी मिल के द्वारा अब ये कह सकूंगा की देखा हुवा है ये सिटी ...
कुछ दिनों बाद आना हूआ इधर, कई पोस्ट छूट गयी। आप पढता हूँ, आभार
आपके यात्रा संस्मरण रोचकता के साथ समग्रता लिए होते हैं -क्यों न इसी नाम से एक पुस्तक आये ?
सुंदर सार्थक पोस्ट .....!शुभकामनायें..
सागर भी सामने हो और न डूबने का भरोसा भी, जीवन में और क्या चाहिये..
आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है आज के ब्लॉग बुलेटिन के लिए , आप देखना चाहें तो इस लिंक को क्लिक कर सकते हैं
वर्णन पढकर
अच्छा लगा
बढ़िया यात्रा रही जी आपकी, कुछ दिनों पहले हम लोग भी साल्ट लेक गए थे, पर पता नहीं क्या क्या घूमते रहे , ये सब तो मिस हो गया था , अगली बार जायेंगे तो ये भी निपटायेंगे :)
सुंदर चित्र एवं रोचक यात्रा वृतांत.....
आपका संस्मरण पढ़ कर मन हर्षित हो गया ! सैनोज़े के पास ऑकलैंड का मॉरमॉन्स चर्च तो मेरा भी देखा हुआ है ! वहाँ अंदर जाने पर कोई पाबंदी नहीं है ! हम लोग ऊपर तक घूम कर आये थे ! आपके रोचक वृत्तांत ने कई मधुर यादों को जागृत कर दिया ! बहुत अच्छा लगा आज यहाँ आकर !
सुंदर बड़ा रोचक रहा यात्रावृत्तांत !
साल्ट लेक के बारे में ज्ञान वर्धन हुआ. आभार. न डूबने वाली बात को हमेशा हमने मृत सागर से ही जोड़ रखा था. विडियो तो पूरी दास्ताँ कह रहे हैं. मोरमोन जैसे बहुत से कल्ट हैं. एक जो हमारे लिए अजूबा बना हुआ है वह है "फ्रीमेसंस"
आपके ब्लॉग के आसरे हम भी घूम ही लेते हैं...
आपकी यात्रा रोचक ही नही रोमाँचकारी भी लगी.
जितनी सैर आपने करवा दी उसके लिए तो
हफ्ते भी कम है.जब भी समय मिलेगा फिर फिर देखूंगा आपकी वीडियोज.बहुत बहुत आभार आपका.
समय मिलने पर मेरी नई पोस्ट पर भी आईएगा आशा जी.
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