मंगलवार, 12 जून 2012

चलते चलो रे -३ (यलोस्टेन नेशनल पार्क- मैमथ हॉट स्प्रिंग्ज़, मड वॉल्केनो इत्यादि)





आज १५ तारीख है । कल की थकान थी तो उठने की कोई जल्दी नही की पर फिर भी तैयार होकर सुबह ९ बजे निकल पडे । आज विजय भी हमारे साथ थे । उसके पहले कॉम्लिमेन्ट्री कॉन्टिनेन्टल ब्रेकफास्ट किया । लंच के लिये एक डेलि से सैंडविचेज़ बंधवा लिये और गेट पर पास दिखा कर चल पडे पार्क की सैर पर । आज हमें दूसरा लूप लेना था । कुछ देर तक कल वाला रास्ता लेकर आगे गये और टी जंक्शन पर कल के विपरीत रास्ता लेकर आगे चल पडे ।  पहले हमने देखा गिब्बन फॉल्स । यह एक मझोले आकार का प्रपात है पर है बडा सुंदर पानी काफी वेग से गिरता है । गिरती धारा ऐसी प्रगाढ  प्रपात की बहुत सी तस्वीरें खींची । इसके बाद फिर से गरम पानी के गाइजर दिखे  । एक बडा सा इलाका है नाम है नॉरिस बेसिन । यह इस पार्क का सबसे गरम इलाका है । 
vdo1(विडियो)
इनमें से कुछ को फ्यूमाहोल्स भी कहते हैं क्यूं कि इनमें से सिर्फ भाप ही निकलती रहती है । प्रेशर इतना नही होता कि पानी का फव्वारा बने । कल के मुकाबले इस रास्ते पर बायसन ज्यादा दिखे । जगह जगह लिखा था बाइसन बडे विराट और खतरनाक जानवर होते हैं इन्हें अकेला ही छोडें । कार का हॉर्न ना बजायें ना ही हेड लाइटस जला कर इन्हें चौकायें ।  हम पहले जाने वाले थे मेमथ हॉट स्प्रिंग्ज । अब सारे रास्ते लंबे लंबे थे कुछ भी पास नही था । इस बार हम यलोस्टोन नदी के किनारे किनारे जा रहे थे ।यह पूरा लूप जो कि  अंग्रेजी ८ के आकार का है कोई ९० मील का है । रास्ता सारा पहाडी और ये बडे बडे पहाड हैं वाकई रॉकी माउन्टेन ।
सब से पहले रुके मैमथ हॉट स्प्रिंगज़ पर । एक पूरी पहाडी या पहाड उबलते सल्फ्यूरिक एसिड के प्रभाव से गल सा गया है । (विडियो) vdo2

रंग में एकदम चूने सा सफेद और कहीं कहीं एसिड बहने से पीला सा और जंग के रंग का। यहां सुंदर रंगीन सीढीनुमा टेरेसेस सी बन गई हैं । ये टेरेसेज फॉल्ट में से गरम पानी के बहते रहने से बनी है जो  घुले हुए केल्शियम बायकार्बोनेट को ऊपर ले आता है और फिर कार्बनडायऑक्साइड हवा में निकल जाती है तथा केल्शियम कारबोनेट यह सफेद रंग की तहें बनाता जाता है । यह भूभाग  अपने आकार-प्रकार को बदलता रहता है क्यूं कि लगभग पांच साल में गरम पानी के झरने बंद हो जाते हैं पर दूसरे झरने निकल आते हैं । कुछ रंग बेक्टिरिया की वजह से होते हैं । कमाल है उबलते पानी में जीवन !   यह अपने आप में एक अदभुत दृष्य है । यहां पूरे इलाके में बोर्ड-वॉक बना हुआ है और इसी पे चलना होता है । सारी जमीन गर्म और एसिडिक (तेजाबी) है कहीं से भी फव्वारा फूट कर आपको जला सकता है । यह बोर्ड वॉक भी काफी लंबा है पर पूरा ऊपर जाने से ज्यादा फायदा नही होता क्यूंकि ऊपर सब कुछ सुप्त है । तेजाब बहता नीचे ही दिखाई देता है । इतने तेजाबी माहौल में भी बैंगनी रंग के कुछ फूल खिले दिखाई दिये । कुछ पाइन के वृक्ष भी । हम लोग निचली टैरेसेस तक गये जहां पीला सा तेजाबी पानी बह रहा था । मैमथ स्प्रिंग से नीचे आने के बाद पास में ही एक बडा कोन के आकार सा दिखाई दिया, कुछ कुछ देवी के मंदिरों में जो दीपमालिका होती है उसकी तरह का।  इसे लिबर्टी कैप कहते हैं क्यूं कि यह रिवाल्यूशनरी युद्ध के सिपाहियों की टोपी की तरह का है । अब इसमे से कोई पानी नही बहता । आप भी देखिये  ।
यहीं पास में ही रूज़वेल्ट इनफॉर्मेशन सेंटर था वहां पिकनिक बेन्चेज़ भी थे तो हमने वहीं बैठ कर लंच किया । हम अपने साथ लड्डू बना कर लाये थे, वो लेकर ही चले थे ताकि लंच के बाद स्वीट डिश भी हो जाये । उससे मज़ा दुगना हो गया । वहां हमें बहुत से एल्क हिरण दिखे । हमें तो मौका मिल गया बस, खूब तस्वीरें लीं ।
फिर आगे निकले कैनियॉन विलेज के लिये वहीं से आगे हम ग्रैंड केनियॉन ऑफ यलोस्टेन देख पाते । पर आगे जाकर रास्ता बंद था तो उतना ही लंबा वापिस आना पडा कोई ४० मील । इससे बडी खीझ हुई पर एक फायदा हुआ ग्रिझली बेअर यानि भालू देखने को मिल गये । एक बार को तो लगा कि वापिस चलते हैं होटल  पर फिर हमने मड-वॉल्केनो का रस्ता ले लिया और बहुत अच्छा किया वरना यह प्रकृति  की प्रयोग शाला कैसे देख पाते ।vdo3 (विडियो)

 
यहां हमने पहले देखे सल्फर कैल्ड्रॉन्स यानि बडे बडे कढाईनुमा बेसिन्स जहां पानी मिट्टी सल्फर का एक अजीब मिश्रण उबलता रहता है । हाइड्रोजन सल्फाइड और सल्फर डाय ऑक्साइड की मिली जुली गंध यहां वातावरण में फैली रहती है । ऐसे छोटे बडे अलग अलग आकार के कई केल्ड्रॉन्स यहां है । हरेक का आकार अलग और रंग अलग कोई हरा सा तो कोई मटमैला तो कोई पीली झांक लिये । कोई गोल कोई चौकोर और कोई टेढा मेढा । प्रकृति की केमिस्ट्री लैब हो जैसे ।
हायड्रोजन सल्फाइड को माइक्रोबज् गंधक के तेजाब में बदलते रहते है । और गंधक के अलग अलग योगिक इन घोलों को अलग अलग रंग देते हैं । हमने तो अपने जीवन में पहली बार देखा ये सब और ये सब सिर्फ यहीं देखने को मिलता है ।
छोटे मोटे भूकंप यलोस्टोन की धरती को झकझोरते रहते हैं और तापमान १०० डिग्री सेंटिग्रेड तक पहुंच जाता है । इन विविध कैल्ड्रॉन्स के अलग अलग नाम भी हैं ।

मड वॉल्केनो – पहले इसका आकार एक ऊँचे कोन की तरह था और इससे उछलने वाला तेजाबी कीचड कोई तीस फीट ऊंचे और ३० फीट चौडे इलाके में फैल जाता था । किसी ज्वालामुखीय विस्फोट से यह अब एक बडे गढ्ढे की तरह हो गया है । इसमें से आयरन के सल्फाइड्स से युक्त मिट्टी और कीचड निकलता रहता है । यहां तो गंध के मारे खडे रहना मुश्किल हो रहा था । (विडियो)vdo4

इसके बाद हम फिशिंग ब्रिज़ की तरफ चल पडे क्यूं कि हमें वापिस इसी रस्ते से जाना था ।यहीं पर एक स्टोर था जहां से हमने कुछ गिफ्टस् खरीदे ये स्टोर्स ज्यादा तर महंगे होते हैं पर कुछ तो लेना ही था बच्चों के लिये ।
हम यलोस्टोन नदी के किनारे किनारे चले जा रहे थे ।  कुछ देर बाद हमे यलोस्टोन लेक दिखाई दिया यह  इस ऊंचाई पर अमेरिका का सबसे बडा सरोवर है ।  यह कोई २० मील लंबा और १४ मील चौडा है । बहुत ही सुंदर दृष्य था । एक जगह तो पूरी ऊपरी सतह बर्फ बन गई थी । सुंदर बर्फीले पहाड और यह कांच जैसा सरोवर बहुत आनंद आया आप लोग भी देखें (विडियो)  ।vdo5
 
वापसी पर रास्ते में एक २५-३० बायसन्स का झुंड सामने से आते हुए मिला । हमारे आगे और भी एक दो कारें थीं । थोडा डर तो लग रहा था पर चुप चाप बैठे रह कार के अंदर । बायसन भी बिचारे कोई १० मिनट में अपने रास्ते चले गये । थोडी दूर आगे जाने के बाद एक जगह ४-५ हिरण एक लाइन में एक के पीछे एक जाते दिखे, परिवार था शायद । नर आगे आगे चल रहा था, बाकी उसके पीछे एक कतार में ।  
बीच में एक हिरण रास्ता क्रॉस कर के कार के आगे से तेजी से निकल गया, बेचारा बहुत डर गया था चलती कार से ।
शाम को ७ बजे वापिस पहुंचे । मैकडॉनल्ड में खाना खाया और वापिस रूम पर कल तो हमें वापिस जाना था ।
 (क्रमशः)

16 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kumar ने कहा…

विलक्षण जी विलक्षण.
आपकी यात्रा सचमुच विलक्षण ही है.

हाँ... चलते चलते लड्डू हो जांयें
तो क्या बात है.

सुन्दर वीडियोमय प्रस्तुति के लिए आभार आशा जी.

Vaishnavi ने कहा…

aapke shabdo or aankhon ke madhaym se hamne bhi yellow national park dekha, aise durlabh yaatra ka varnan or share karne ke liye hardik dhanywaad.

mridula pradhan ने कहा…

behad manoranjak varnan.....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह,,,, बहुत सुंदर यात्रा प्रस्तुति,,,बेहतरीन वीडियो दिखाने के लिये आभार,,,,,

MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,

दिगम्बर नासवा ने कहा…

रोचक वर्णन है आपकी यात्रा का ... चित्र और विडियो सभी लाजवाब ...

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

di bahut bahut hi achha laga aapki yara vritrant ko padh kar aur dheron jaankariyan bhi prapt hun-----
hardik aabhaar
poonam

Suman ने कहा…

रोचक ....मनोरंजक यात्रा वर्णन !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रोचकता से भरी यात्रा..

Satish Saxena ने कहा…

दिलचस्प सफर ...
आभार आपका !

Alpana Verma ने कहा…

रोमांचक! रोमांचक! रोमांचक!
एक विडियो में गंधक के उबलते पानी को देख कर ही सिहरन सी हो गयी!
आप ने इसे प्रकृति की प्रयोगशाला सही कहा है.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वाओ....! इतने खूबसूरत नजारे .....
सच वहाँ से तो आने का जी ही नहीं चाहता होगा .......
हम भी चेरापूंजी गए थे तो आने का जी ही नहीं चाहता था .....

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वाओ....! इतने खूबसूरत नजारे .....
सच वहाँ से तो आने का जी ही नहीं चाहता होगा .......
हम भी चेरापूंजी गए थे तो आने का जी ही नहीं चाहता था .....

mehhekk ने कहा…

sunder safarnama,anni khup sunder thikane,waah,asha ji aapan swastha aasal ashi kamana.tk cr mehek.

रचना दीक्षित ने कहा…

अत्यंत जीवंत चित्रण. वीडिओस बहुत सुंदर हैं. ऐसी विपरीत परस्थितियों में भी वनस्पति की उत्पत्ति हमे भी विपरीत समय में संयम बनाये रखने की प्रेरणा देते हैं.

बहुत शुभकामनायें आशा जी.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत रोचक वर्णन.....
वीडियो भी शानदार.......

आपके साथ हमारी भी यात्रा हो गयी......
बहुत शुक्रिया...

अनु

P.N. Subramanian ने कहा…

येल्लो स्टोन के बारे में काफी सुन रखा था. आज बड़ी विस्तृत जानकारी मिली. आभार.