मंगलवार, 19 जुलाई 2011

चलते रहिये चलते रहिये -6 कैप टाउन - कैप-ऑफ गुड होप


चौबीस तारीख को सुबह ही हम तैयार होकर एयर पोर्ट रवाना हुए । वर्किंग डे होते हुए भी एमी ने मेहमान नवाजी पूरी तरह की और हमें टोस्ट और ऑमलेट का नाश्ता खिलाया । चूंकि यह एक वर्किंग डे था एडम ने हमारे लिये टैक्सी बुलवाई थी । पर किसी वजह से वह आई ही नही तो बेचारे एडम को ही हमें छोडने आना पडा । उसके लिये अपने ऑफिस में फोन कर के उसने कहा कि वह एक घंटा देरी से आयेगा । हाँलाकि उस हफ्ते के लिये वही बॉस था, उसके बॉस दौरे पर थे । हमारी केप-टाउन जाने वाली उडान साउथ अफ्रीकन एयर लाइन्स की थी । हमने टिकिट डी. सी. से कैप टाउन तक का ही लिया था और जोहान्सबर्ग में सफर तोड लिया था (Break journey ) । इससे हमने काफी पैसे बचा लिये थे । अब कैप टाउन से हमें सीधे ही डी सी वापिस जाना था (!!!!!) ।
इस उडान पर हमें कोई परेशानी नही हुई हम अंतर्राष्टीय प्रवासी जो थे । उडान अवश्य एक घंटा देरी से उडी । वेजीटेरियन खाना, चाय कॉफी जूस सब कुछ था । कोई दस बजे हम कैप टाउन पहुँच गये । वहाँ एयर पोर्ट से बाहर आते ही कार किराये से ले ली । छह दिन के 2,780 रैन्ड लगे (400$ ) ।यहां हमने Service apartment 6 दिनों के लिये लिया था उसके 720$ हम पहले ही दे चुके थे । हमारा यह अपार्टमेन्ट, 80-विला हारग्रीव्ज, एकदम लुडाडनो (spelling Llandudno) बीच पर था । बालकनी में से समुद्र के दर्शन हो जाते थे । यहां सुहास ने ड्राइव किया । अपार्टमेन्ट सुंदर था । दो बेड रूम्स, एक किचन कम लिविंग कम डाइनिंग रूम, दो बाथरूम्स,हमारे लिये एकदम बढिया । चाय कॉफी दूध सब की शुरुवाती व्यवस्था थी । पर हमें तो खाने का भी सोचना था । सुरेश और सुहास सामान लाने गये और मै और विजय रुक गये मैने सबके लिये चाय बनाई हमारे पास बिस्किट नमकीन वगैरा था वह निकाला । जब ये लोग वापिस आये तो फ्रोझन पास्ता भी लाया था वही बनाकर खाया । (विडियो) 1

फिर मैप देख कर कल का प्रोग्राम तय किया कि कल हम कैप ऑफ गुड होप याने कि आशा अंतरीप देखने जायेंगे इसका रास्ता चैपमन्स पीक होकर ही जाता है जो कि एडम ने हमें बताया था कि बहुत ही खूबसूरत है । सुबह उठे और बाहर बालकनी में बैठ कर चाय पी, तैयार हुए और नाश्ता कर के चल पडे । साउथ अफ्रीका में यह ठंड का मौसम होता है । और यहां तो हमारे और एन्टार्क्टिका के बीच में केवल समुद्र ही था । इस बार ड्राइव करने की बारी सुरेश की थी । हमारे अपार्टमेन्ट का रास्ता काफी घुमावदार और नीचे जाने वाला था तो बाहर निकलने के लिये चढाई होती थी । सुरेश धीरे धीरे आगे बढे और फिर हम अपने रास्ते पर लग गये । यह हमारी ड्राइव दुनिया की सबसे खूबसूरत ड्राइव थी । हमने लुडाडनो से एम 6 रोड पर शुरुवात की हौट बे से आगे निकले और यहीं से हमारी चैपमन्स ड्राइव शुरु हो गई जो हमें नूरडॉक तक ले गई । इसे सिर्फ खूबसूरत कहना इसको कमतर आँकना होगा । एक तरफ विशाल पर्वत माला और दूसरी तरफ गहरा नीला उफनता हुआ समंदर । साँस खींच कर नयनों में भर लें ऐसे दृष्य । 2, 3 (विडियो)



इस 9 किलोमीटर की ड्राइव में कोई 114 घुमाव थे और यह राह एक तरफ तो एटलांटिक सागर को बाहों में लेकर चलती है और दूसरी तरफ पर्वतों से बातें करती हुई । यह एक बहुत ही रोमांचक और आल्हददायक अनुभव था ।(विडियो) 4, 5




प्रकृती का ऐसा अद्भुत रूप जादू सा कर रहा था । आगे कैप ऑप गुड होप तक जाते जाते और भी अपूर्व पर्वत शिखर दिखें । हम चलते चले गये बिलकुल पश्चिमी तट के आखरी बिंदु तक । जिसे दुनिया का आखरी छोर भी कहा जाता है । कैप ऑफ गुड होप जिसे पार कर वास्को द गामा भारत पहुँचे । 6 ,(विडियो)

वहां बफेलो-फॉन्स्टीन विजिटर्स सेंटर था, वहां के हिल साइड कैफे में रुके । क़ॉफी नट्स और चॉकलेट बार खरीदे और नाश्ता किया, खूब भूख जो लग आई थी । वहीं पर व्हेल के जॉज (Jaws) और वर्टीब्रे सजाये हुए थे । वहां से आस पास के पौधे देखे एक लाल फूलों वाला पौधा था जिसका नाम है फिनबोस ।
वहां से फिर गये टेबल माउन्टेन नेशनल पार्क । टेबल माउन्टेन तो लुडान्डो से पास ही था पर उसी के नाम पर ये नेशनल पार्क बना है यहां से शिखर तक जाने के लिये पैदल भी चढ सकते हैं और एक ट्रेन भी जाती है । हमने तो ट्रेन के टिकिट खरीदे और ऊपर गये, यह था केप पॉइन्ट । कमाल का व्यू था एक तरफ हिंद महासागर दूसरी तरफ एटलांटिक महासागर और बीच में ये कैप पॉइन्ट जहां हम खडे थे । वहीं से दूर समंदर में एक जगह खूब फेना और एक्टविटि दिखी, वहां चार से पांच व्हेल्स थीं । थोडे थोडे अंतराल के बाद खूब फव्वारे बना रहीं थीं, 7 (विडियो)


उनका ब्रीडिंग सीझन चल रहा था । कभी कभी उनकी पूंछ दिखाई दे जाती थी । बहुत देर तक वहां रुक कर इसका आनंद उठाया । एक छोटासा काला पक्षी जमीन पर फुदक रहा था उसे सुहास ने एक काजू दिया तो लेकर तेजी से दूर भाग गया । वापसी का सफर भी उतना ही रोमांचक था । हमें साइमन टाउन रुकना था पेंगुइन्स (छोटे वाले) देखने के लिये पर कहीं दिखे ही नही । पर वही सारा प्राकृतिक रोमांचक सौंदर्य पहाड और महासागर देखते देखते वापिस आये । इस बार सुहास हमारी सारथी थी । शब्दों में इस प्राकृतिक वैभव को बांधना कठिन है आप देखें कैमरे ने कितना न्याय किया है । (विडियो) 8 ,9 (विडियो)




हमारे तजवीजी घर पर वापिस आये और खाने का इन्तजाम किया । थोडी देर टीवी देखा । कल हमें जाना था रॉबिन आयलैन्ड जहां नेलसन मंडेला को ब्रिटिश सरकार ने कैद किया था । अपनी कुल 27 साल के कैद वर्षों मे से 18 साल उन्होने इस जेल में बिताये । उसके लिये रास्ता देखा । मैप पर मार्किंग की और सो गये ।
(क्रमशः)

12 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

अति सुन्दर |
बधाई ||

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

इतिहास, पर्यटन, प्रकृति का सुन्दर मिश्रण।

Abhishek Ojha ने कहा…

उत्तमाशा अंतरीप (गुड को उत्तम कहें तो) नाम मुझे बचपन में बहुत आकर्षित करता था और लगता था कि भारत के आजू बाजू ही कहीं है. बढ़िया विवरण.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

प्रकृति से बड़ा चित्रकार कोई नहीं..

संजय भास्‍कर ने कहा…

खूबसूरती को बहुत सुन्दर कैद किया है

Unknown ने कहा…

वाह एकदम झकास…

Dr Varsha Singh ने कहा…

सुन्दर यात्रा-वृत्तांत...
चित्र भी बहुत अच्छे हैं।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

khubsurat..............
video bhi aur rachna bhi..!

Dorothy ने कहा…

रोचक और खूबसूरत संस्मरण के लिए आभार.
सादर,
डोरोथी.

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत ही सुन्दर। बधाई और धन्यवाद।

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक संस्मरण