गुरुवार, 22 जनवरी 2009

हम और वो


इधर हम जिंदगी के कायल हैं
उधर वो जान के भी दुष्मन है ।
इधर हम प्रेम गीत गाते है
वो उधर सर पे बांधे कफन हैं ।
हाथ जो हम बढायें दोस्ती का
वो तो थामें दुष्मनी का दामन हैं ।
भोले नादान मासूमों को वो
बनाते जाते दुश्मने अमन है ।
हम हैं जम्हूरियत की संतानें
तानाशाही के बनें वो इबन हैं ।
छीनना चाहते हैं आजादी
लहराते मातमी का परचम हैं ।
इससे हासिल किसी को क्या होगा
हम जलेंगे तो वो भी तो दफन हैं ।

आज का विचार
यदि शांति सम्मान पूर्वक नही रखी जा सकती तो वह शांती ही नही है ।

स्वास्थ्य सुझाव
फाइबर युक्त पदार्थों का सेवन करें यह कोलेस्ट्रोल को कम करते हैं ।

16 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता है, मनमोहक

---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें

silvermini ने कहा…

achchi lagi kavita

डॉ .अनुराग ने कहा…

बात में दम है

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

तानाशाही के बनें वो इबन हैं
छीनना चाहते हैं आजादी
लहराते मातमी का परचम हैं
इससे हासिल किसी को क्या होगा
हम जलेंगे तो वो भी तो दफन हैं ।
मन की बात अच्छी लगी

P.N. Subramanian ने कहा…

सुंदर कविता. अब तो तालिबानों ने पाकिस्तान को अपने कब्ज़े में ले ही रहे हैं. अल्लाह हो अकबर.

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुंदर लगी आपकी यह रचना

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन रचना और सटीक आज के विचार. आभार.

mehek ने कहा…

aisundar kharach jar sagle lok shantiprasthapit ka nahi karat,ugach nakshali bantat,ek sundar kavita.chan sandes.

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

सही कहा जी, जो दूसरों को खाई खोदते हैं, उनके लिये कुंआ तैयार रहता है।
दुष्ट जन क्यों नहीं सोचते कि अन्तत वे भस्मासुर ही होंगे।

राज भाटिय़ा ने कहा…

एक बहुत सुंदर कविता, ओर सुंदर विचार के लिये धन्यवाद

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

अच्छी जांकारी है .यह और बतायेन कि किन पदार्थो मेन फाइबर ज्यादा होता है.

Tapashwani Kumar Anand ने कहा…
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Tapashwani Kumar Anand ने कहा…

बहुत ही सच्ची रचना है
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाए |
इश्वर हम सभी को अपने कर्तव्यों का पालन करने की शक्ति प्रदान करे .....

Tapashwani Kumar Anand ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Tapashwani Kumar Anand ने कहा…

internet connection ke uddandta ke liye kshama prarthi hun......
comment ek se jyada baar post hogaye.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

बहुत सुंदर. ठोस बात कही.

( यादों का इंद्रजाल )