शनिवार, 13 दिसंबर 2008

राष्ट्रप्रिय है...


न कोई आयेगा हमको बचाने
न कोई हाथ ही आगे करेगा
जबाँ से ही जतायेंगे हम-दर्दी
मदद शायद ही कोई कुछ करेगा

दूसरे के भरोसे जो रहा है
काज उसका तो डूबा है हमेशा
अगर खुद मे नही है कोई हिम्मत
बिन लडाई ही, वो हारा है हमेशा

हमें अब एकजुट होना पडेगा
और बदलनी होगी किस्मत
ताकि अपने ही दम पे हम खडे हों
हमें खुद की बढानी होगी ताकत

उठे दुश्मन की आँख इससे पहले
डर, दृष्टि जाने का, उसे हो
हमारी एकता की शक्ति पर ही
नाज करने का हक हमको भी तो हो

हम किसी देश के दुष्मन नही हैं
पर अगर दुष्मनी पर कोई उतरे
लगा देंगे अब प्राणों की बाजी
मोल ले लेंगे, पथ में, जो हों खतरे

जवानों पर हमारे नाज़ हमको
अपने भूमी की रक्षा हक हमारा
त्याग जो भी हो करना वह करेंगे
राष्ट्र प्रिय है और राष्ट्र ध्वज है प्यारा

17 टिप्‍पणियां:

Himanshu Pandey ने कहा…

अच्छी भावना से लिखी गयी रचना.
धन्यवाद.

राज भाटिय़ा ने कहा…

न कोई आयेगा हमको बचाने
न कोई हाथ ही आगे करेगा
जबाँ से ही जतायेंगे हम-दर्दी
मदद शायद ही कोई कुछ करेगा
आप ने बिलकुल सच लिखा है, हमे खुद ही हिम्मत करनी होगी, इस सुंदर कविता के लिये आप का धन्यवाद

रंजू भाटिया ने कहा…

न कोई आयेगा हमको बचाने
न कोई हाथ ही आगे करेगा
जबाँ से ही जतायेंगे हम-दर्दी
मदद शायद ही कोई कुछ करेगा

सही कहा आपने ..अच्छी लगी आपकी यह रचना

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव है।बधाई।

बेनामी ने कहा…

khup chan barobar aata ek jut houn ladha denyachi aawashakata hai.sundar.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

देश प्रेम से ओत प्रोत आवाहन गीत की रचना पर आपको बधाई

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

बहुत अच्छी लगी
आपकी राष्ट्र प्रेम से भरी कविता

sandhyagupta ने कहा…

Hriday se nikli aawaaj.....

Mohan Lele ने कहा…

शाक्त है हम, ताकद हमारी जान!
हिम्मत हार जाते है... समयपर
याद आता है शांतीमंत्रका आवाहन.

डरपोक और कायर भी बन रहे हम
मददकी संस्कृती भूल रहे है हम!
स्वार्थमे डुबी भ्रष्ट सरकारोसे मिलकर
राष्ट्रका ईतिहास मीटा रहे है हम.

इस देशको बचाने अब
शिवाजी या नेताजी चाहिए,
भगतसींग, सुखदेव जैसे बच्चे चाहिए.

राष्ट्रद्रोहियोंके घरमे बारा बच्चे
मुझे समझ नही आता...
हमे हि एक और दो क्यो?

गौतम राजऋषि ने कहा…

बड़े दिनों बाद आया आज वापस आया मैम आपके ब्लौग पर.कैसी हैं आप?ढ़ेरों रचनायें पढ़ दाली आज आपकी...
तारीफ में क्य कहूं !आपकी लेखनी का तो पहले से कायल रहा हूँ...

Dev ने कहा…

First of all Wish u Very Happy New Year...

Ek Sundar Rechana...
Regards..

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

हमें अब एकजुट होना पडेगा
और बदलनी होगी किस्मत
ताकि अपने ही दम पे हम खडे हों
हमें खुद की बढानी होगी ताकत

नए साल में नया उत्साह भरती हुई aapkee rachnaa .
sankalpon के aavahan के साथ

cg4bhadas.com ने कहा…

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए, अलविदा २००८ और
2009 के आगमन की हार्दिक शुभकामनायें स्‍वीकार करे,
Welcome to the Cg Citizen Journalism
The All Cg Citizen is Journalist"!

hindi-nikash.blogspot.com ने कहा…

आपका ब्लॉग देखा. बहुत अच्छा लगा. आपके शब्दों को नित नई ऊर्जा मिलती रहे और वे जन साधारण के सरोकारों का समर्थ और सार्थक प्रतीकन करें, यही कामना है.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी पधारने की कृपा करें-
http:www.hindi-nikash.blogspot.com
सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर.

M. D. Ramteke ने कहा…

Hi,

Nice Poem,

and as far as "Javaan" is concern.

We Salute them

cg4bhadas.com ने कहा…

हम आपके आभारी है , और आपके सुझाव , छत्तीसगढ के विकास में सहायक बने इसी आशा के साथ , हमें अपने सुझाव भेजते रहे.
धन्यवाद


cg4bhadas.com
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संपादक

Unknown ने कहा…

Helllllllo,

Just check the India map displayed on this side. Shame on you dear.
Be true Indian. Just remove this as soon as possible.
If you dont have the correct map.
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I'll provide you the correct one.

jai Hind.