रविवार, 2 नवंबर 2008

कभी तो चले आओ


कभी तो चले आओ मेहमान बन कर
और पूछो मेरा नाम अनजान बनकर ।

हमें हक्का बक्का कर दो तुम इतना
हम ना समझ पाये अचरज हो कितना
देखें कभी तुम को या फैले घर को
या चीजें सम्हालें परेशान बनकर । कभी तो......

कहें बैठने को या पानी पिलायें
चाय को पूछें या पंखा चलायें
न सूझे जो कुछ तो शरबत ले आयें
या खुद ही खडे हों गुलदान बनकर । कभी तो..

तुम्हारे ही चेहरे को पढते रहें हम
देखो जो तुम, तो नजरें चुरायें
या फिर ये सोचें झुका कर के पलकें
कि क्यूँ आये हो दिल का अरमान बनकर । कभी तो ...

तुम कुछ जो पूछो तो हम कैसे समझे
खयालों में जब हों अपने ही उलझे
तुम ही हमें फिर बता देना हँस के
कि क्या काम था और आये हो क्यूं कर । कभी तो.....

आज का विचार

याद रहे कि आप बहुत खास है और आपकी भूमिका आपके अलावा और कोई नही निभा सकता ।

स्वास्थ्य सुझाव

रक्त में लोह की मात्रा बढाने के लिये खायें
३ बादाम
३ खूबानी
३ खजूर
३ अंजीर
१५ मुनक्का
सबको मिला कर रोज नाश्ते में खायें ।
२ महीनें करें ।

19 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

याद रहे कि आप बहुत खास है और आपकी भूमिका आपके अलावा और कोई नही निभा सकता ।
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सवेरे सवेरे हममें जोश भरने को बहुत शुक्रिया जी!

Udan Tashtari ने कहा…

क्या बात है!! बहुत उम्दा!!

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

चले आयेंगे हम भी अनजान बनकर
ये कविता चली है यूं फरमान बनकर

डॉ .अनुराग ने कहा…

खूब कहा !

Abhishek Ojha ने कहा…

बहुत खूब ! मधुर कल्पना.

मेनका ने कहा…

great..kavita to achhi hai hi aapka vichar bhi bilkul sahi aour bahut hi sundar hai.

Himanshu Pandey ने कहा…

एहसास इतनी स्वाभाविकता से कहा जा सकता है, सीख लिया मैंने.
कहूं क्या ?
"मेरे ब्लॉग पर आते रहें, मेरा सम्मान बनकर."

रंजू भाटिया ने कहा…

कविता तो अच्छी है ही .आज का विचार बहुत दिल को भाया ..सुंदर सही बात

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आमंत्रण और लोहा बढ़ाने की टिप दोनों ही बहुत खूब हैं।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

वाह आप तो बहुत अच्छी कविता लिख लेती हैं....स्वस्थ रहने के आसान तरीके बताने का शुक्रिया...
नीरज

सुनील मंथन शर्मा ने कहा…

तुम ही हमें फिर बता देना हँस के
कि क्या काम था और आये हो क्यूं कर

आए थे आपसे मिलने मेहमान बनकर
हाल पूछना था आपका और बताना था अपना हाल
पर आपकी बेहतरीन मेहमाननवाजी ने सब कुछ भुला दिया.
अब जा रहें हैं तो पूछ लेता हूँ कैसी हैं आप. वहां कैसा लग रहा है.
manthan.news@gmail.com
पर पोस्ट करें.

राज भाटिय़ा ने कहा…

एक बहुत ही सुन्दर एहसास भरी कविता,ओर यह आप ने जो ल्फे वाली बात लिखी बहुत सुन्दर लगी, ओर मै तो रोजाना खजुरे, पिस्ता, काजु यानि जो भी हाथ लगता है खुब खाता हुं,
फ़िर भी कई लोगो के काम आयेगा.
धन्यवाद

sandhyagupta ने कहा…

कभी तो चले आओ मेहमान बन कर
और पूछो मेरा नाम अनजान बनकर ।

sundar panktiyaan.

guptasandhya.blogspot.com

mehek ने कहा…

sundar jaise kisi pagli allad ladki ke man ke bhav,waah,

ha ha majhe college che divas athawale,koni tari asto na pratekachya ayushyat chor koparyat dadlela,tyachi athavan jhali:)

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

बधाई इस खूबसूरत कविता के लिये शुभकामनाएं

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

आपने बिल्कुल उम्दा कहा ,सुंदर एहसास.../

अभिषेक मिश्र ने कहा…

कभी तो चले आओ मेहमान बन कर
और पूछो मेरा नाम अनजान बनकर ।
कविता के साथ 'आज का विचार' भी प्रेरक लगा. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.

Jimmy ने कहा…

bouth He Aacha Post Hai


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ishq sultanpuri ने कहा…

saral shabdon me itana marmsparshi bhav pahale kabhee nahee dekha.......
........matswaroopa ko pranam.....