रविवार, 27 जुलाई 2008
बैंगलोर में ७ धमाके, अहमदाबाद में १६ विस्फोट और Three Cups of tea
बैंगलोर में ७ धमाके, अहमदाबाद में १६ विस्फोट और एक किताब Three Cups of tea
बैंगलोर में ७ धमाके एक की मौत पंघरा घायल । अहमदाबाद में १६ विस्फोट ४० मरे ।
क्यूं होता है ये सब और क्यूं है हम बेबस । क्या है इसे रोकने का तरीका । हाल ही में मैने एक किताब पढी है नाम है ,” Three Cups of tea by Greg Mortenson and David Oliver Relin. और यह एक सत्य घटना पर आधारित है ।
ग्रेग मॉर्टेन्सन नामका एक अमेरिकन माउन्टेनियर १९९३ में काराकोरम २ की चढाई में आखरी क्षणों में असफल होकर बेहोशी
की हालत में पाकिस्तान के अफगानिस्तान वाले एक सरहदी गाँव कोरफे में पहुँच जाता है जहां तिब्बती मूल के बाल्टी लोग बसते हैं ।। उस गाँव के लोग उसकी बहुत सहायता करते है और वह गाँव के लोगों की सह्रदयता का कायल हो जाता है । वहाँ जब वह बच्चों को बिना इमारत के स्कूल में बिना शिक्षक की सहायता के जमीन पर पेड की टहनी से अक्षर लिखते देखता है तो वह वादा करता है कि वह वापिस आयेगा और गाँव के बच्चो के लिये एक स्कूल अवश्य बनायेगा ।
यह किताब अगले एक दशक तक ग्रेग मॉर्टेन्सन द्वारा किये गये अविश्रांत परिश्रम की कहानी है जो वह पाकिस्तान के सुदूर पहाडी इलाके में जो अफगानिस्तान से सटा हुआ है वहाँ के पचपन गाँवों में लडकियों के लिये स्कूल खोलने के लिये और उनको चालू रखने के लिये करता है । उसके रास्ते में क्या क्या बाधाएं आतीं हैं और वह उनसे कैसे निबटने में सफल होता है इसका सजीव वर्णन है यह किताब । निरे अनपढ लोग भी ह्रदय से की गई सहायता से कैसे उसके कायल हो जाते हैं और कैसे अपने सीमित साधनों के बावजूद उसकी मदद करते हैं और कैसे वह अपनी दुर्दम्य इच्छाशक्ती और अथक परिश्रम के बल पर सफल होता है इसका अनुपम उदाहरण है यह किताब ।
Three Cups of tea इस लिये क्यूं कि इस कबीले का मानना है कि जब आप के साथ कोई पहली बार चाय पीता है तो वह आपके लिये अजनबी होता है और दूसरी बार चाय पीनेसे आपका दोस्त बन जाता है और तीसरी बार तो वह आपके परिवार का ही हो जाता है ।
हो सके तो आप लोग इसे अवश्य पढें, हो सकता है आप में से बहुतों ने पढ रखी हो । इसके बारे में अगर कोई सार्थक चर्चा हो तो शायद हमारे बहुतसे सवालों का जवाब हमें मिल जाये ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
5 टिप्पणियां:
Three Cups of tea इस लिये क्यूं कि इस कबीले का मानना है कि जब आप के साथ कोई पहली बार चाय पीता है तो वह आपके लिये अजनबी होता है और दूसरी बार चाय पीनेसे आपका दोस्त बन जाता है और तीसरी बार तो वह आपके परिवार का ही हो जाता है ।
यह तो सात कदम साथ चलने के बाद मित्र होने जैसा ही है। हम अगर ऐसा भगीरथ यत्न करेंगे तो किताब होगी "सात कदम"।
सही कहा पांडे जी ने
पूरी तरह से सहमत हूँ मै भी पांडे जी से .....
चाय पिला कर अपना बना लेने वालों का स्नेह अपने देश और विदेश के गाँवो मे दिख जाता है लेकिन .... धमाके और विस्फोट करने वाला कैसा इंसान होता है ..यह आज तक न समझ पाए...
इस किताब के बारे में जानकारी देने के लिए शुक्रिया, जरूर पढ़ने की कौशिश करेगें। वैसे धमाके करने वाले शायद इंसा ही हों पर उन्हें उसके लिए उकसाने वाले जरुर हैवां होते हैं
एक टिप्पणी भेजें