कितने जतन किये
तुमसे मिलने के
भिजवायें अनगिनत संदेसे
चिठिया पत्तर भेज के देखे
हवा पखेरू के संग अपने,
दुखडे कथन किये
कितने जतन किये।
सखा तुम्हारे, सखियाँ मेरी
दुखसे मोर जो थीं दुखियारी
जा जा कर के पास तिहारे
कष्ट निवेदन किये
कितने जतन किये।
तुम न पसीजे,तुम ना आये
क्यूं इतने कठोर हो पाये
क्या ऐसी मोसे भूल हो गई
जो ये मरन जिये
कितने जतन किये।
अब आजाओ न और रुलाओ
एक बार दरस दे जाओ
फिर चाहे वापिस ना आओ
कोई रहे या कि मिये
कितने जतन किये
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