पवित्र अति मास चैत्र , शुध्द नवमी की
तिथी,
समय मध्यान्ह का, ना शीत ऊष्ण ना अति,
शीतल, सुगंधी पवन, मुक्त चहुं दिशि
विचरता
जनम हुवा राम का, जनम हुवा राम का।
अयोध्या है हुई धन्य, कौशल्या तृप्त नयन,
दशरथ अति आनंदित,पुलकित रोमांचित तन
नया नया शिशु रुदन, रनिवास में गूंजता
जनम हुवा राम का...
सुहागिने चलीं लेकर जल कलश, थाल स्वर्ण
वाद्य मंगल बजते, गूंजते शगुन गान
वाद्य मंगल बजते, गूंजते शगुन गान
आनंदित अवधपुरी, सरयू का जल महका
जनम हुवा राम का...
मोहक, राजिव नयन, कोशल्या के नंदन
पुत्र रूप नारायण, नीरद से शाम वरण
अवतरित हुए आज, आनंद बन जन जन का
जनम हुवा राम का...
सुमित्रा के पुत्र लखन, सुंदर अति शुभ
लक्षण
कैकयी के पुत्र गुणी, भरत और शत्रुघन
हर्षित सब नर नारी, पूरण आंगन घर का
जनम हुवा राम का...
सुखमय सब अवधपुरी, आशाएँ हुईं पूरी
माता के हाथ आज झूले की रेशम डोरी
राजा ने खोल दिया द्वार भंडार का
जनम हुवा राम का...
कैसे शब्द अकिंचन, करें जन्मोत्सव वर्णन
भाव मन में सघन भरे, अश्रू पूरित नयन
नयनों के द्वार कैसे आनंद का घन बरसा
जनम हुवा राम का...
चित्र गूगल से साभार।
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