tag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post6617997640089638376..comments2024-02-14T10:32:35.527-08:00Comments on स्व प्न रं जि ता: गोविंद दादाAsha Joglekarhttp://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-29724679660011223162007-10-21T03:28:00.000-07:002007-10-21T03:28:00.000-07:00बढिया कहानी सुनाई गोविंद दादा ने.सच! बचपन की यादें...बढिया कहानी सुनाई गोविंद दादा ने.सच! बचपन की यादें ताजा हो गय़ीं.विनोद पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/16819797286803397393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-10029534314096750192007-10-20T10:25:00.003-07:002007-10-20T10:25:00.003-07:00बढ़िया है कहानी!बढ़िया है कहानी!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-66861378719273874032007-10-20T10:25:00.002-07:002007-10-20T10:25:00.002-07:00बढ़िया है कहानी!बढ़िया है कहानी!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-74790851486754783172007-10-20T10:25:00.001-07:002007-10-20T10:25:00.001-07:00बढ़िया है कहानी!बढ़िया है कहानी!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-39360779274887784262007-10-20T10:25:00.000-07:002007-10-20T10:25:00.000-07:00बढ़िया है कहानी!बढ़िया है कहानी!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-18529972274401452272007-10-20T03:30:00.000-07:002007-10-20T03:30:00.000-07:00सन २००२ में मेरी बुआ वे देहांत होने के पहले तक जब ...सन २००२ में मेरी बुआ वे देहांत होने के पहले तक जब भी मौका मिलता मैं उनकी गोदी में सर रख कर सो जाता और उनसे पिचले पच्चीस तीस सालों में अनगिनत बार सुनी कहानियाँ फिर से सुनता। उससे पहले दादीजी से।<BR/>अब ना तो बुआ है ना वे कहानियाँ। आजकल बच्चों को कहाणियाँ सुनने में रुचि नहीं है, उन्हें कम्प्यूटर/वीडियो गेम से ही फुर्सत नहीं मिलती।Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-89418761488984027742007-10-20T01:25:00.000-07:002007-10-20T01:25:00.000-07:00आपके लेख ने मुझे अपनी नानी की याद दिला दी। बचपन मे...आपके लेख ने मुझे अपनी नानी की याद दिला दी। बचपन में इसी तरह कहानियां सुनाती थी।<BR/>काफी मेह्नत की है इस लेख पर आपने। आपको धन्यावाद।Atul Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/13418818413795828946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-78465679564398111862007-10-19T19:02:00.000-07:002007-10-19T19:02:00.000-07:00गोविन्द दादा की जमात उत्तरोत्तर कम होती जा रही है।...गोविन्द दादा की जमात उत्तरोत्तर कम होती जा रही है। <BR/>या यह भ्रम है मेरा? <BR/>जीवन की आपाधापी में किस्सागोई की बलि चढ़ रही है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-33624921082246356132007-10-19T12:34:00.000-07:002007-10-19T12:34:00.000-07:00चलिये, बड़ी राहत मिली कि राजकुमार अक्षय कमल ले आये ...चलिये, बड़ी राहत मिली कि राजकुमार अक्षय कमल ले आये और राजकुमारू के साथ सुख से रहने लगे. गोविन्द दादा को भी चैन मिला होगा कि कहानी खत्म हुई अब छूटे.<BR/><BR/>:)<BR/><BR/>अब दूसरी कहानी सुनाईये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com