tag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post4072544827034071187..comments2024-02-14T10:32:35.527-08:00Comments on स्व प्न रं जि ता: जीने की कलाAsha Joglekarhttp://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-52060134446145838142007-10-29T12:14:00.000-07:002007-10-29T12:14:00.000-07:00आप सबका धन्यवाद ।आप सबका धन्यवाद ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-28145395826563496842007-10-27T03:01:00.000-07:002007-10-27T03:01:00.000-07:00मेक्सिकन लोग वरी डॉल से चिंता मुक्त हो जाते हैं हम...मेक्सिकन लोग वरी डॉल से चिंता मुक्त हो जाते हैं हमने चिंता हरण ब्लॉग शुरु कर दिया है. <BR/>पहले कभी चिंताओं ने घेरा तो डायरी में उनको उतार दिया और चिंता मुक्त हो गए. <BR/>जो है आज है ---- बिल्कुल सच है.<BR/>आपको पढ़ने मे आनन्द आता है...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-78424300551139536042007-10-26T23:46:00.000-07:002007-10-26T23:46:00.000-07:00।"अगर हम हर पल कुछ करते ना रहें तो हम खुद को दोषी ...।"अगर हम हर पल कुछ करते ना रहें तो हम खुद को दोषी समझने लगते हैं"<BR/>bilkul sach kaha aapney..magar thx to blogging ki kuch der sabkuch bhulaa baith tii huun.beautiful post ASHA JIपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6500475970615720002.post-35903042892833814302007-10-26T21:30:00.000-07:002007-10-26T21:30:00.000-07:00आशा जी, बूंद-बूंद से बनता है सागर और क्षणों से बनत...आशा जी, बूंद-बूंद से बनता है सागर और क्षणों से बनती है जिंदगी। आपने सही कहा है कि हमें आज में, वर्तमान में जीना चाहिए। इसे उपहार मानना चाहिए। स्थितियां प्रतिकूल हैं, तब भी इंसानी फितरत है कि उससे लड़ने में भी आनंद आता है, ऊर्जा मिलती है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.com